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________________ 7. माघ (शिशिर) पुष्य अश्लेषा मघा फाल्गुन (हेमन्त) मघा पूर्वा फाल्गुनी उत्तरा फाल्गुनी उत्तरा फाल्गुनी हस्त चित्रा ये सात नक्षत्र पश्चिम दिशा द्वार वाले हैं। पश्चिम दशा में ये शुभफलदायी हैं। 9. चैत्र (वसंत) 10. वैशाख (कुसुम संभव) 14 अहोरात्र 15 अहोरात्र 1 अहोरात्र 14 अहोरात्र 15 अहोरात्र 1 अहोरात्र 14 अहोरात्र 15 अहोरात्र 1 अहोरात्र, 14 अहोरात्र 15 अहोरात्र1 अहोरात्र 14 अहोरात्र 8 अहोरात्र 7 अहोरात्र 1 अहोरात्र 14 अहोरात्र 15 अहोरात्र 1 अहोरात्र - चित्रा स्वाति विशाखा विशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मूल मूल पूर्वाषाढ़ा उत्तराषाढ़ा 11. ज्येष्ठ (निदाघ) ये सात नक्षत्र उत्तर द्वार वाले हैं। उत्तर दिशा में ये शुभफलदायी है। . आषाढ़ ((वनविरोह) 1,830 सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र, ऋतु और अभिवर्धित-इस प्रकार व्यवहार योग्य ये पाँस मास कहे गये हैं। इनमें एक युग (पाँच वर्ष) में कितने मास, मुहूर्त, दिन और अहोरात्र होते हैं, उसे इस चार्ट से समझेंएक युग में / मास एक मास के एक वर्ष में एक मास में एक युग के दिन मुहूर्त दिन - अहोरात्र | नक्षत्र नक्षत्र 67 81927 - 32757 | 2721 | चन्द्र 62 885 30 354 12 2932 1,830 | सूर्य 60 9 15 366 30 1 1,830 ऋतु 61 360 1,830 अभिवर्धित |57 मास 7 दिवस | 95317 1,918 14 1123 मुहूर्त 915 900 383 __21 18 सचित्र जैन गणितानुयोग 127
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
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