________________ 15 वीथिकाओं का चंद्र के मार्ग में नक्षत्रों का संचार अंतर 35214 योजन मेरु पर्वत से सुदर्शन 144820 यो. मेरु पर्वत दूर चंद्र की प्रथम वीथी अभिजित आदि मघाव पुनर्वसु का संचार जंबद्वीप की वेदीकृतिका का संचार रोहिणीवचित्रा का संचार विशाखा का संचार अनुराधा का संचार ज्येष्ठा का संचार 00 हस्तमूल आदि का संचार कासंचार 6 7 चित्र क्र.91 8 9 10 11 12 13 14 15 मासनाम श्रावण (अभिनंदन) 2. भाद्रपद (सुप्रतिष्ठ) ये सात नक्षत्र पूर्व दिशा के द्वार वाले नक्षत्र कहे गये हैं। इन नक्षत्रों में पूर्व दिशा में जाना शुभ माना गया है। | 3. आसोज (विजय) मास नक्षत्र और उनकी अहोरात्रियाँ मास की नक्षत्र संख्या अहोरात्र उत्तराषाढ़ा 14 अहोरात्र अभिजित 7 अहोरात्र श्रवण 8 अहोरात्र धनिष्ठा 1 अहोरात्र धनिष्ठा 14 अहोरात्र शतभिषा 7 अहोरात्र पूर्वा भाद्रपद 8 अहोरात्र उत्तरा भाद्रपद 1 अहोरात्र उत्तरा भाद्रपद 14 अहोरात्र रेवती 15 अहोरात्र अश्विनी 1 अहोरात्र 14 अहोरात्र भरणी 15 अहोरात्र कृतिका 1 अहोरात्र कृतिका 14 अहोरात्र रोहिणी 15 अहोरात्र 1 अहोरात्र मृगशीर्ष 17 अहोरात्र आर्द्रा 8 अहोरात्र पुनर्वसु 7 अहोरात्र - पुष्य 1 अहोरात्र - 4. अश्विनी कार्तिक (प्रीतिवर्धन) ये सात नक्षत्र दक्षिण दिशा द्वार वाले हैं। दक्षिण दिशा में ये शुभफलदायी हैं। 5. मृगशिर (श्रेयांस) मृगशीर्ष 6. पौष (शिव) 126EAARADAR सचित्र जैन गणितानुयोग