________________ लम्बाई 156 ऊँचाई 128 पाठिका 2700 योजन चित्र क्र.87 चन्द्र मंडल एवं उनकी संख्या चन्द्र विमान चन्द्रमा के मंडल 15 हैं, उसमें 5 चन्द्र मंडल जंबूद्वीप के 180 योजन क्षेत्र में तथा 10 चन्द्र मंडल लवण समुद्र के 330 योजन क्षेत्र में हैं। समपृथ्वी से 880 योजन ऊँचे रहकर चन्द्र मेरु की प्रदक्षिणा करते हैं। चन्द्र की परिभ्रमण गति सूर्य की अपेक्षा मंद है, अत: उसके मंडल दूर-दूर हैं। चन्द्र का सर्वाभ्यन्तर मंडल जम्बूद्वीप में मेरूपर्वत से 44,820 योजन दूर है और सर्वबाह्य मंडल मेरुपर्वत से 45,330 योजन दूर है। वह इस प्रकार है जम्बूद्वीप की सीमा से मेरु का 45,000 योजन का अंतर है और चन्द्र का सर्वाभ्यन्तर मंडल जम्बूद्वीप की सीमा से 180 योजन अंदर है। अतः (45,000-180 =) 44,820 योजन दूर चन्द्र का पहला मंडल है और चन्द्र का सर्वबाह्य मंडल लवण समुद्र में 330 योजन दूर है। अत: मेरु से जम्बूद्वीप की सीमा में चन्द्र का लवण समुद्रगत चार क्षेत्र जोड़ने पर (45,000 + 330 = ) 45,330 योजन का अंतर मेरु और चन्द्र के मध्य का होता है। चन्द्र मंडल की लम्बाई-चौड़ाई व अंतर प्रत्येक मंडल पर दोनों चन्द्र एक-दूसरे के आमने-सामने होते हैं। अत: चन्द्र मंडल की लम्बाई-चौड़ाई जितनी होगी उतना ही अंतर दोनों चन्द्र के बीच रहेगा। ___ सर्वाभ्यन्तर मंडल जम्बूद्वीप की सीमा से चारों दिशाओं में 180-180 योजन है, दोनों मिलकर 360 योजन अंदर है। जम्बूद्वीप के 1 लाख योजन व्यास में से 360 निकाल देने पर (1,00,000-360 = )99,640 योजन प्राप्त होता है। यह प्रथम मंडल की लम्बाई-चौड़ाई और दोनों चन्द्र के मध्य का अंतर है। एक मंडल से दूसरे मंडल में गति करते हुए प्रत्येक मंडल में 3625/61 योजन का अंतर दोनों ओर से बढ़ता है। अत: (3625/61 ,4/7x 2) 725161 , 1/7 योजन की वृद्धि प्रत्येक मंडल के व्यास में होती है। जब सर्वबाह्य मंडल में जाता है तब अंतिम मंडल की लम्बाई-चौड़ाई 1,00,65945/61 योजन प्रमाण होती है। चन्द्र की मुहूर्त गति प्रत्येक चन्द्र एक अर्धमण्डल को 1 अहोरात्र अधिक 1 मुहूर्त (31 मुहूर्त 11/2/221 मुहूर्तांश) में पूर्ण करते हैं। दोनों चन्द्र मिलकर एक मंडल को 2 अहोरात्र और 223/221 मुहूर्ताश अर्थात् 6223/221 मुहूर्त में पूर्ण करते हैं। सर्वाभ्यन्तर मंडल की परिधि 3,15,089 योजन है, उसे 6223/221 मुहूर्त से भाग देने पर 5,0737744/13725 योजन आते हैं। अत: चन्द्र की प्रथम मंडल में इतना ही क्षेत्र एक मुहूर्त में पार करता है। प्रथम मंडल पर परिभ्रमण करते हुए चन्द्र को भरत क्षेत्र के मनुष्य 47,26321760 योजन दूर से देखते हैं। 120 सचित्र जैन गणितानुयोग