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________________ उदय-अस्त के समय सूर्य का लाल वर्ण सूर्य अपने मण्डलाकार क्षेत्र में पूर्व से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम, पश्चिम से उत्तर और उत्तर से पूर्व की ओर मेरू की प्रदक्षिणा करता है। सूर्य उदय और अस्त के समय विदिशा में होता है। अतः भरत क्षेत्र में जब सूर्य का उदय होता है, तब वह पूर्व और दक्षिण के मध्य आग्नेय कोण में होता है। उस समय पूर्व महाविदेह में वह सूर्य अस्त हुआ कहा जाता है और भरत क्षेत्र में उदय हुआ कहा जाता है। उदय के समय सूर्य लाल वर्ण का दिखाई देता है, इसी प्रकार अस्त के समय भी वह लाल वर्ण का ही दिखाई देता है। इसका यह अर्थ नहीं कि सूर्य का वर्ण लाल है। यदि सूर्य का वर्ण लाल होता तो दिन में भी वह उसी वर्ण का दिखाई दे। वस्तुतः सूर्य का प्रकाश श्वेत है। किन्तु विदिशा में स्थित सूर्य उदय और अस्त के समय निषध पर्वत के समीप होता है, निषध पर्वत पूर्व से पश्चिम तक लम्बा और लाल वर्ण का है, उसकी प्रतिच्छाया सूर्य प्रकाश पर पड़ने के कारण उदय और अस्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है। यह कथन भरत क्षेत्र की अपेक्षा है। ऐरावत क्षेत्र में सूर्य नीलवन्त पर्वत के पास उदित होता है। नीलवन्त पर्वत का वर्ण नीला है, उसकी प्रतिच्छाया सूर्य पर पड़ने से ऐरावत क्षेत्र में उदय और अस्त के समय वह नीला- दृष्टिगत दृष्टिगत उदय-अस्त के समय सूर्य का लालवर्ण .. होता है। (चित्र क्रमांक 86) चन्द्र ज्योतिष्क देव ऐरवत क्षेत्र सूर्य विमान से 80योजन एवं समभूतला नीलवन्त पर्वत पृथ्वी से 880 योजन ऊपर चन्द्र के विमान हैं। ये एक योजन के 61 भाग में से 56 भाग लम्बे-चौड़े और 28 भाग ऊँचे स्फटिक रत्नमय हैं। अस्त निषध पर्वत चन्द्र विमानवासी देव 7 हाथ की काया वाले मुकुट में चन्द्र चिह्न को धारण करने वाले और 1 चित्र क्र. 86 लाख वर्ष अधिक 1 पल्योपम की उत्कृष्ट आयु वाले होते हैं। इनके देवियों की आयु जघन्य पाव पल्योपम की उत्कृष्ट 50 हजार वर्ष अधिक आधा पल्योपम है। चन्द्र विमान को भी 16,000 देव उठाते हैं। चन्द्र विमान की पीठिका के नीचे स्फटिकमय मृग का चिह्न निर्मित है। अतः पूर्णमासी के चाँद में 'मृग' का चिह्न दिखाई देता है। चन्द्र विमान के पृथ्वीकायिक जीव उद्योत नामकर्म के प्रभाव से शीतल किरणों वाले हैं। (चित्र क्रमांक 87) अस्त मरू PSJ भरत क्षेत्र सचित्र जैन गणितानुयोग 119
SR No.004290
Book TitleJain Ganitanuyog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayshree Sadhvi
PublisherVijayshree Sadhvi
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size38 MB
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