________________ 50 बनस्पतियों के स्वलेस अधिकारी का तार आया है कि “ताड़ वृक्ष की मृत्यु हो गयी, उसकी गति समाप्त हो गयी है / " वृक्ष की इस अत्यधिक दुःखद मृत्यु से समस्या का हल निकालने का रास्ता निकल आया। यह दुर्भाग्य की बात थी कि वृक्ष को मरकर यह बताना पड़ा कि इसकी गति का कारण इसकी जीवन-क्रिया थी। - अन्धविश्वासियों ने भले ही वृक्ष की मृत्यु का कारण, मेरे द्वारा उसकी गति के अभिलेख लेने की स्वच्छन्दता को माना हो / किन्तु यह कहना निरर्थक ही है कि दोनों में कोई सामयिक सम्बन्ध नहीं था। वृक्ष प्रौढ़ था और मेरे अनुसन्धानों के एक वर्ष बाद मरा / तब भी मैं इस विषय में दुःखी था और चाहता था कि यह मामला पूर्ण रूप से दब जाय / किन्तु ऐसा होने वाला नहीं था, क्योंकि समाचारपत्रों ने इस मामले को तूल दिया और तरह-तरह की आलोचना करने लगे। जैसे उसका एक नमूना "उच्च-जीवन में दुःखान्त घटना !" जैसा पहले समाचार दिया जा चुका है, फरीदपुर के प्रार्थना करने वाले ताड़ वृक्ष का डॉ० बोस के भाषण वाले दिन ही अकस्मात् देहान्त हो गया। उसने यह अवश्य सुन लिया होगा कि ये विख्यात वैज्ञानिक एक पाखण्ड का भण्डाफोड़ करने वाले हैं। हम लोगों को बताया गया है कि उसका यह धार्मिक दिखने वाला क्रियाकलाप केवल उसका अपने को गरम रखने का प्रयल था। इसी प्रकार हम यह भी सोच सकते हैं कि यह कोई रोग होगा क्योंकि अन्य ताड़ तो कभी प्रार्थना नहीं करते !" ___ इस बार समाचारपत्र वालों की सर्वज्ञता दोषपूर्ण थी। क्योंकि यह 'प्रार्थना करने का स्वभाव' केवल फरीदपुर के उसी पवित्र ताड़ वृक्ष का ही नहीं वरन् और दूसरे ताड़ वृक्ष तथा अन्य सामान्य वृक्षों का भी है / मुझे सरोवर के किनारे दूसरे ताड़ वृक्ष के विषय में संवाद मिला है / इस वृक्ष का तना उसी सरोवर की ओर झुका हुआ है। ऊपर उठी हुई उसकी पत्तियाँ संध्या के समय घूमकर सरोवर के जल में डूब जाती हैं। ऊपर उद्धृत घटना केवल रहस्यमय 'पूर्व' का ही चमत्कार नहीं है। नीरस लिवरपूल (यूनाइटेड किंगडम) के पड़ोस में भी एक ऐसी ही घटना घटी। मेरे एक आंग्ल मित्र ने मुझे 13 दिसम्बर 1811 के "लिवरपूल मरकरी" नामक पत्र का निम्नलिखित सारांश भेजा-- "आश्चर्यजनक घटना" : शिप्टन के पास श्री वासने (Rev. Mr. Wasney) की सम्पत्ति टबसिल नामक फार्म की एक छोटी नदी के किनारे एक विलो (Willew) का वृक्ष है / यह बहुत ऊँचा है और इसकी परिधि करीब तीन फुट होगी। यह वास्तव