________________ वनस्पति को निद्रा 43 प्रात: और सायं इसकी जागृति में आश्चर्यजनक भिन्नता दीखती है। प्रातःकाल का जागना लाजवन्ती देर से जागती है। यह चौबीस घंटे के पूर्ण अभिलेख में स्पष्ट दिखेगा। यहाँ (चित्र 30) मैं आधे-आधे घंटे पर लिये गये अभिलेख को उद्धत कर रहा हूँ। यह चित्र ३०-पौधे का क्रमिक जागरण (8 बजे प्रातः से 12 बजे मध्याह्न तक) धीरे-धीरे प्रातः नौ बजे तक जागृत होने की क्रिया को चित्रित करता है। यहाँ देखा जा सकता है किस तरह यह किसी आदमी की तरह ही धीरे-धीरे पूरी तरह जागने की चेष्टा कर रही है। दिन और रात का अभिलेख यह अभिलेख 5 बजे सन्ध्या से प्रारम्भ किया गया था। दिन और रात के प्रत्येक घंटे पर चौबीस घंटे तक लिया गया था। पहले दो घंटे तक पौधा पूर्णरूप से जागत रहा / 6 बजे रात्रि से 2 बजे प्रातः तक इसे थोड़ी-थोड़ी नींद आने लगी। किंतु 6 बजे प्रातः तक यह जगा रहा। इसके बाद यह गहरी नींद में सो गया और 8 बजे प्रातः तक सोता रहा (चित्र 31) / रूसों ने कहा है कि आधुनिक जीवन ह्रास की ओर जा रहा है और आदिम जीवन की ओर लौट जाने में ही कल्याण की आशा की जा सकती है। निश्चय