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________________ वनस्पतियों के स्वलेख है और गैलवनोमीटर के भीतर कोई विद्युत्-वाह नहीं होता। अब यदि हम चिकोटी काट कर या आघात देकर बिन्दु 'B' को उद्दीपना पहुँचायें तब बिन्दु 'A' के सम्बन्ध में बिन्दु 'B' का विद्युत्-तल बाधित होगा और गैलवनोमीटर के भीतर 'A' से 'B'. तक एक विद्युत्-वाह जायगा जिससे एक अवनमन दिखाई पड़ेगा। गैलवनोमीटर में उद्दीप्त बिन्दु 'B' बिन्दु 'A' के सम्बन्ध में ऋणात्मक रहेगा। बिन्दु 'A' को उद्दीप्त करने पर विपरीत दिशा में विद्युत्-वाह होगा (चित्र सं० 21) / सुविधा के लिए अब से हम उद्दीप्त बिन्दु के इस विद्युत्-परिवर्तन को ऋणात्मक (Negative) कहेंगे। कुछ समय 0 पश्चात् जब ऊतक पुनः सँभल जाता है तो उद्दीपना द्वारा किया गया विद्युत्-परि- ct वर्तन भी लुप्त हो जाता है। __ निम्नलिखित रीति को प्रेरित विद्युत्-परिवर्तन के अभिलेख के लिए अपनाया गया नुक्रियात्मक विद्युत्-वाह चित्र २१-जब A उद्दीप्त होता है का अभिलेख करने वाले गैल्वनोमीटर में तब अनुक्रिया की धाराएक तार रहता है, जिसके मध्य में एक जब B उद्दीप्त होता है, तब चुम्बक लटकता है,जिसकी लम्बाई उस तार अनुक्रिया की धाराके समतल के समानान्तर रहती है। जब भी (a) वैद्युतअनुक्रिया पाने की प्रणाली। कोई विद्युत्-वाह इस तार के चारों ओर (b) A पर उद्दीपना दन से बहता है तो चुम्बक एक या दूसरी दिशा गैलवनोमीटर के आर-पार अनुक्रिया में, जो विद्युत्-वाह की दिशा पर निर्भर की धारा B से A तक जाती है (ऊपरी है, घमता है। इस चुम्बक में एक दर्पण मोड़); B पर उद्दीपना द्वारा विपरीत जोड दिया जाता है और इस दर्पण से दिशा में धारा जाती है (नीचे का प्रतिबिम्बित प्रकाश-बिन्दु चुम्बक के परि- मोड़) / भ्रमण को विशालित करता है। यह प्रतिबिम्बित प्रकाश-किरण भाररहित लम्बे विशालन के सूचक का कार्य करती है। अभिलेखन के लिए हम एक संवेदनशील पट्ट का व्यवहार करते हैं और प्रकाश की घूमती हुई किरण अनुक्रिया तथा स्वाभाविक स्थिति में लौटने का अभिलेख फोटोग्राफिक ढंग से करती जाती है। अभी हम देखेंगे / कि अनुक्रिया का विद्युत्-स्पन्दन ऊतकों की जीवन-शक्ति का ठीक-ठीक निर्देशन करता है और ऊतकों की मृत्यु के बाद विद्युत्-स्पन्दन लुप्त हो जाता है /
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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