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________________ अध्याय 5 विद्युत्-अनुक्रिया जीवित ऊतक इसीलिए सचेतन समझा जाता है, क्योंकि यह बाहरी 'उद्दीपना के प्रति अनु क्रिया करता है। जब तक यह जीवित है तब तक अनुक्रिया करता रहेगा। अनु क्रिया के बाद विश्राम से तरोताजा होकर यह पुनः नये सिरे से अनुक्रिया के लिए तैयार हो जाता है। थोड़ी देर के लिए विक्षुब्ध हो गये जीवन के सन्तुलन को पुनः अपने आप प्राप्त कर लेने वाली बात पहाड़ से धक्का देकर लुढ़काये हुए पत्थर की बात से भिन्न है। क्योंकि पत्थर पुनः अपने आप मूल स्थिति को नहीं पा सकता / किन्तु जीवित ऊतक उद्दीपना समाप्त होते ही पुनः अपनी स्थिरता प्राप्त कर लेता है। जैसा पिछले अध्यायों में अभिलिखित है, वनस्पति की उद्दीपना-अनुक्रिया चर अंग के संकोचन से प्रदत्त यान्त्रिक क्रिया है। यह देखा गया है कि अनक्रिया की गहनता अंगों की कोशिकाओं में वर्तमान एक सक्रिय पदार्थ की उपस्थिति पर निर्भर है। साधारणतया उस अन क्रिया-गति के प्रदर्शन पर, जिसे हमने अभी तक ऊतक की संवेदनशीलता के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है, वनस्पति-ऊतकों में एक प्रकार का शारीरिक नियन्त्रण रहता है / एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि जो ऊतक गति नहीं प्रदर्शित करते वे भी क्या उद्दीपना के प्रति संवेदनशील हैं ? क्या सभी पौधे और उन के विविध अंग, पर्ण, स्कन्ध, मूल, फूल और फल उद्दीप्य हैं ? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए एक ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता है जो गति की अनुपस्थिति में भी जीवित अंगों की उत्तेजना का पता लगा सके। केवल गति ही उत्तेजना की प्रतिक्रिया का लक्षण नहीं है। उद्दीपना, उद्दीप्य ऊतक में एक विद्युत-परिवर्तन लाती है। यदि हम जीवित स्कन्ध का एक टुकड़ा लें तो उसकी सतह के ऊपर के कोई दो बिन्दु 'A' और 'B' यदि विश्राम की दशा में हैं तो एक ही वैद्युत स्थिति में पाये जायेंगे / इन दोनों बिन्दुओं 'A' और 'B' की वैद्युत स्थिति गैलवनोमीटर (Galvanometer) से, जो विद्युत-वाह ज्ञान का एक बहुत ही संवेदनशील यन्त्र है, उपयुक्त रूप से जोड़ देने पर प्रदर्शित की जा सकती है। जब दोनों बिन्दु विश्राम की दशा में होते हैं, तब दोनों की विद्युत्-स्थिति एक-सी रहती
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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