________________ विद्युत्-अनुक्रिया आगे बढ़ने से पहले उत्तेजना की नाना प्रकार की अभिव्यञ्जनाओं या उनके विपरीतों की स्पष्ट अवधारणा कर लेना उचित होगा। सामान्य अवस्थाओं में पौधे का ऊतक रस से आतत (Tense) या फूला हुआ आशून होता है / यह स्थिति आशूनता की स्थिति है। उद्दीप्त करने के पश्चात् इसमें नाना प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। उत्तेजना के ये संकेत हैं - (१)संकुचन (2) आशूनता का ह्रास (3) गति, जैसे लाजवन्ती के पर्ण का गिरना और (4) ऋणात्मक विद्युत् परिवर्तन / विरोधी प्रकिया के, जो पुनः स्वास्थ्य लाभ कराती है और कभी-कभी स्वास्थ्यलाभ अतिरेक पर पहुँचा देती है, ये लक्षण हैं-(१) विस्तार (2) आशूनता की वृद्धि (3) सीधे होने की गति, जैसे लाजवन्ती की पत्ती में और (4) धनात्मक विद्युत्-परिवर्तन / ऊतकों की उद्दीपना ___ साधारण सिद्धान्तों के वर्णन के बाद अब हम वैद्युत अनुक्रिया प्राप्त करने की व्यावहारिक रीति बतायेंगे / वनस्पति को उद्दीप्त करने में सर्वाधिक कठिनाई उद्दीपना को स्थिर रखने या उसे क्रमशः बढ़ाने या घटाने की है विद्युत्-आघात उद्दीपना की सबसे अधिक संतोषप्रद रीति है। किन्तु प्रस्तुत मामले में उसका प्रयोग नहीं हो सकता था, कारण विद्युत्-धारा के आघात का च्यवन (Leakage) अनुक्रियाधारा में विघ्न उपस्थित कर सकता है। अतः विमोटन (Torsional) कृत कम्पन (Vibration) द्वारा उत्तेजित करने की विद्युत्-रहित विधि से काम लिया गया / यदि हम अपनी अंगुली पकड़कर उसे धीरे-धीरे मोड़ें तो उद्दीपना धीमी होगी, किन्तु यदि विमोटन (Torsional) एकदम किया जाय तो उद्दीपन अत्यधिक उग्र हो जायगा और संवेदन कष्टकर होगा / सामान्य रूप से, आघात की आकस्मिकता पर उद्दीपना की प्रखरता निर्भर करती है। :- वनस्पति-सम्बन्धी प्रयोग में हम स्कन्ध का एक टुकड़ा 'A' 'B' लेते हैं और उसे एक शिकंजे (Vice) 'C' से बीच में पकड़ते हैं / यह शिकंजा एक अवरोध का कार्य करता है और आधे स्कन्ध को उद्दीपना को दूसरे आधे भाग में जाने से रोकता है। एक सिरा मान लीजिये 'B' तीन संधर जबड़ों (Clamping Jaws) 'H' में बँधा रहता है / अब मूठ (Handle) 'K' द्वारा इस सिरे में विमोटन-कम्पन (Torsional vibration) किया जाता है। 'K' कोण, जो विमोटन-कम्पन की तीव्रता निश्चित करता है, अंशांकित वृत्त (Graduated Circle) द्वारा ठीक-ठीक नापा जा सकता है / विसृप रोधन (Sliding stop)द्वारा इसकी माप का पहले से पता लगाया चा सकता है। E, E' द्वारा 'A' 'B' का विद्युत्-संपर्क स्थापित किया जाता है जो उसे गैलवनोमीटर तक ले जाता है। पौधे को एक काँच के प्रकोष्ठ में रखा जाता