________________ भेषज-उपचारित वनस्पति 29. को बताते हैं जिनकी कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं हुई। बाद में वह पौधा मरा पाया गया। ईथर ___ऐसे घातक विषों के बाद अब हम प्रमीलकों की ओर बढ़ते हैं। सर्वप्रथम ईथर को लीजिये / इस अभिलेख (चित्र 18) से ज्ञात होता है कि इसके प्रयोग के chloroform चित्र 18-- ईथर का प्रभाव / चित्र १६--क्लोरोफार्म का प्रभाव / बाद वनस्पति की उत्तेजनशीलता समाप्त होने लगती है। ठीक वैसे ही जैसे ईथर देने के पश्चात् मनुष्य की चेतना नष्ट हो जाती है। प्रमीलक वाष्प को उड़ा देने पर पौधा पुनः धीरे-धीरे अपनी स्वाभाविक संवेदनशीलता को प्राप्त कर लेता है। दूसरे प्रयोगों के फलस्वरूप यह ज्ञात हुआ कि ईथर की बहुत ही अल्प मात्रा चेतना को बढ़ाती है / इससे एक विलक्षण तथ्य प्रकट होता है कि किसी भी भेषज का प्रभाव उसकी मात्रा बदल देने से बदल जाता है। साधारणतया अत्यधिक अल्प मात्रा का प्रभाव अधिक मात्रा के प्रभाव का ठीक उलटा होता है। क्लोरोफार्म चिकित्सीय दृष्टि से ईथर क्लोरोफार्म से अधिक सुरक्षित प्रमीलक पाया गया है। क्लोरोफार्म की तनिक भी अधिक मात्रा घातक हो सकती है। चित्र सं०