________________ 28 वनस्पतियों के स्वलेख माना जाता है कि पौध कार्बनिक अम्ल गैस के घातक वातावरण में फलते-फूलते हैं। किन्तु अभिलेख यह दिखाता है कि ऐसी स्थिति में फलने-फूलने के बजाय वनस्पति का भी मनुष्य की तरह ही दम घुटने लगता है। शुद्ध वायु पुन: मिलने पर लिया गया गहरा मुक्ति-निःश्वास नोट करने के लायक है (चित्र 16) / इस विषय में हमें स्मरण रखना चाहिये कि अधिकतर जीवित पदाथों को, जिनमें वनस्पति भी है, श्वास के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। किन्तु प्राणियों के विपरीत हरित वनस्पतियों में प्रकाश रहते वायु से ग्रहण की गयी कार्बनिक अम्ल गैस को विशुद्ध कर देने की क्षमता होती है / वे उसके ऑक्सीजन वाले अंश को बाहर कर देती हैं और कार्बन को अपन पोषण के लिए रख लेती हैं। इस कार्बन के आत्मीकरण की शक्ति को उनके श्वास के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता के साथ न मिला देना चाहिये / यह (ऑक्सीजन) वनस्पति और प्राणी दोनों के जीवन के लिए अनिवार्य है। कार्बनिक अम्ल गैस के प्रभाव के विपरीत ओजोन (Ozone) का प्रभाव बहुत ही शक्तिप्रद होता है, जिसके कारण अनु क्रिया में भी तेजी आ जाती है। सल्फ्यूरेट्येड हाइड्रोजन (HS) यह तो सर्वविदित है कि बहुत-से पौधे नगर के वायुमण्डल में नहीं पनपते / उदाहरण के लिए सामान्य पक्तिपत्र (Biophytum sensitivum), जिसकी अत्यधिक छोटी पत्तियाँ, अल्पतम उद्दीपना से ही फड़फड़ाने लगती हैं, मेरी कलकत्ते की प्रयोगशाला में प्रसन्न नहीं रखे जा सके। नगर से सात मील की दूरी पर बाहर मैंने उसे जीवन से परिपूर्ण और अत्यधिक सचेतन पाया। नगर के वातावरण में बहुत-सी गैसें मिली रहती हैं, जैसे सल्फर डाइआक्साइड और सल्फ्यूरेटेयेड हाइड्रोजन, जो दोनों ही पौधे के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। चित्र १७--सल्फ्यूरेट्येड हाइड्रोजन का इसे चित्र 17 में देखा जा सकता है। प्रभाव / यहाँ सल्फ्यूरेटेयेड हाइड्रोजन के प्रयोग ने सारे संवेदन समाप्त कर दिये हैं / तीन मोटे बिन्दु उन तीनों शक्तिशाली आघातों