________________ अध्याय 4 भेषज-उपचारित वनस्पति लाजवन्ती के चेतनाशील पीनाधार के संकुचन से हम पौधे की यान्त्रिक 'अनुक्रिया का अभिलेख पा सकते हैं। पीनाधार और पेशी, दोनों संकुचनशील अवयवों की कार्यपरक समानता केवल बाह्य गति के प्रकाशन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसकी बुनियादी प्ररसीय संरचना तक पहुंची हुई है। कूर्म और शशक जैविक पेशी की गति-त्वरता के सम्बन्ध में कूर्म और शशक स्पष्ट भिन्नता प्रस्तुत करते हैं। शीघ्रगामी प्राणी में प्रतिक्रिया त्वरित होगी ही, जब कि मन्दगामी प्राणी में प्रतिक्रिया मन्द होती है। बाज के समान शिकारी पक्षियों की पक्षपेशी बहुत सक्रिय होती है, जब कि कलहंस की कम सक्रिय और पालतू मुर्गे की पेशी प्रायः निष्क्रिय-सी ही होती है, इनकी उड़ने की शक्ति व्यवहारतः लुप्त हो चुकी रहती है। वह कौन-सी वस्तु है जो गति की इस अत्यधिक तीव्रता का कारण है ? आश्चर्य की बात भले ही लगे किन्तु वनस्पति के पर्ण में भी प्राणी के तीन प्रकार के अंगों के अनुरूप तीन प्रकार के प्रेरक अंग होते हैं--सक्रिय, अर्ध-सक्रिय और निष्क्रिय / पीनाधार की प्रेरक प्रतिक्रिया सामान्य लाजवन्ती में उद्दीपना की अनुक्रिया बहुत त्वरित होती है / संकोची गिराव एक सेकेण्ड से थोड़े समय के भीतर ही पूरा हो जाता है। दूसरे चेतनाशील . पौधों में गति की त्वरता अपेक्षाकृत मन्द होती है। उदाहरण के लिए, नैपचूनिया ओलेरेसिया (Neptunia Oleracea) देखने में बहुत कुछ सामान्य लाजवन्ती की तरह ही होता है। नैपचूनिया सरोवरों में होता है और पानी में तैरने के लिए अपने स्कन्धों के चारों ओर एक त्वक्षा-पट्टक (Cork-belt) बना लेता है। नैपचूनिया के पर्ण की गति इतनी मन्द होती है कि इसके गिरने में एक मिनट से अधिक समय लग जाता है। अन्त में, रन रबीन नामक सेम के पौधे (Phaseolus) के पीनाधार की गति अत्यधिक मन्द होती है।