________________ 24 वनस्पतियों के स्वलेख KHA SOFESE N :08 PRIMAN marum अब सक्रिय अंग की ओर ध्यान दें। लाजवन्ती के पीनाधार की बाह्य कोशिकाओं का संकुचन ही पत्तियों के गिराव का कारण है। जैसा पहले कहा जा चुका है, सेम का पीनाधार निष्क्रिय होता हैं, य द्यपि शरीर-रचना के अनुसार इसकी बाह्यक कोशिकाएँ लाजवन्ती की कोशिकाओं के समान ही होती हैं / अंग की सही क्रिया के लिए अब तक शारीरिक समानता को व्यर्थ ही इतना महत्व दिया जाता था। यह मापदण्ड कितना भ्रामक है. यह ऊपर दिये गये तथ्यों से ही सिद्ध हो जाता है / शारीरिक बनावट नहीं, बल्कि ऊति अथवा तन्तु की प्ररसीय (Protoplasmic) अन्तर्वस्तु ही किसी अंग के कार्य विशेष के लिए शारीरिक दक्षता निर्धारित करती है। भंग की क्रियाशीलता प्ररस में कुछ सक्रिय पदार्थ की उपस्थिति पर निर्भर है। जैसा हम अभी देखेंगे। पेशीय ऊतकों का सीमांकन किसी सक्रिय पदार्थ की उपस्थिति कैसे निश्चित हो ? यदि हम अणुवीक्षक चित्र १३-लाजवन्ती के पर्णवृन्त और में लाजवन्ती के पीनाधार के अन्वायाम पीनाधार का लम्बा भाग, ऊपरी और कटे हुए टुकड़े (Longitudinal sec- निम्नवाही पूलों से होकर जा रहा है। tion) की परीक्षा करें तो यह ज्ञात करना Pt पर्णवृन्त की बाह्यक कोशिकाएं जो असम्भव है कि संकोचन-कोशिकाएँ अनभिरंजित रहती हैं। नीचे का P दाहिनी कहाँ से आरम्भ होती हैं, कहाँ समाप्त तरफ, पीनाधार की संकोची कोशिकाएँ होती हैं और वे किस प्रकार से वित- गहरी अभिरंजित / / रित रहती हैं। किन्तु मुझे इसमें कुंकुमी (Safranin) द्वारा वरणात्मक अभिरंजन (Selective staining) करने से सफलता मिल गयी / इस अभिरंजन द्वारा आश्चर्यजनक परिणाम मिले / ऐसा लगता था जैसे किसी हाथ ने अत्यधिक सावधानी के ama PAHARANPer /