________________ पौधों की तंत्रिका 175 गया है, यह उसका दुरुपयोग है। इनका हठ था, कि दो दूरस्थित अंगों के यातायात की दो प्रणालियों में-पदार्थ के स्थानान्तरण से, और गति के पारेषणद्वारा-आधारभूत भिन्नता है। पहले का उदाहरण है, रासायनिक उद्दीपनाओं के घोल से युक्त तरलपदार्थों की मन्द गति जैसा पौधे के रस-उत्कर्ष में या प्राणी के रक्त-परिभ्रमण में होता है। दूपरा है, उत्तेजना का एक से दूसरे बिन्दु पर द्रुतगति से संवाहन जो तंत्रिका आवेग के संचरण से सम्बन्धित है / इन दो भिन्न प्रणालियों की तुलना डाक या तार द्वारा सम्पर्क-स्थापन से ठीक ही की गयी है। दोनों गतियों में इतना अधिक अन्तर है कि एक से दूसरे को मिला देना अक्षम्य होगा। __ जल-यांत्रिक सिद्धान्त और रस-उत्कर्ष द्वारा हारमोन-यातायात का सिद्धान्त, दोनों इस परिकल्पना पर आधारित हैं कि यांत्रिक बाधा उपस्थित करने के लिए अथवा उद्दीपना के लिए संतापक का निकलना, दोनों ही के लिए आघात की आवश्यकता है। यदि यह प्रमाणित कर दिया जाय कि पौधे में उत्तेजित आवेग मन्द उददीपना या बिना आघांत के उत्पन्न और संवा हित किया जा सकता है, तो ये सिद्धांत व्यर्थ हो जायेंगे। पौधा अत्यधिक उत्तेज्य है और एक मन्द उद्दीपना उसमें आवेग का प्रारम्भ करने के लिये यथेष्ट है / उद्दीपना के लिये छुरी से आघात करना इस भ्रान्तिपूर्ण कल्पना के कारण एकमात्र बहाना हो सकता है कि पौधे प्राणी की अपेक्षा बहुत कम संवेदनशील हैं और इसलिए हिंसा द्वारा ही उनको सक्रिय होने के लिए बाध्य किया जा सकता है। यह एक व्यर्थ और अकारण धारणा है क्योंकि जैसा पहले कहा चुका है, मैंने पाया है कि जो विद्युत्-आघात मनुष्य को संवेदित कर सकता है उसकी तीव्रता का दसवां भाग लाजवन्ती को उत्तेजित कर सकता है। कोई घाव नहीं होता, किन्तु फिर भी उत्तेजना का यथेष्ट दूरी तक पारेषण होता है। जल-यांत्रिक और हारमोनआरोहण के सिद्धान्तों को पूर्णतः निराधार प्रमाणित करने के लिए यह परिणाम ही यथेष्ट है / मैं आगे और दूसरे संपरीक्षणों का भी वर्णन करूंगा, जिनसे ये सिद्धान्त असिद्ध हो जायेंगे। रस की गति का सिद्धांत इस सिद्धान्त के अनुसार एक परिकल्पित उद्दीपना आरोही रस के साथ पर्ण तक पहुंचती है / इस प्रकार रस की ही दिशा में आवेग को भी ऊपर जाना चाहिये, न कि विपरीत दिशा में नीचे। आवेग की गति भी रस की गति के समान होनी चाहिये / लाजवन्ती के तने के एक पार्श्व में मैंने एक हल्की खरोंच की और पाया कि