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________________ 176 वनस्पतियों के स्वलेख उत्तेजना ऊपर और नीचे दोनों ही ओर साथ-साथ गयी। इससे ऊपर और नीचे दोनों ओर के पर्ण गिर गये / उद्दीपना की तीव्रता बढ़ाने पर उत्तेजना तने के एक पार्श्व चित्र १०४-एक पाश्विक खरोंच को उद्दीपना का प्रभाव / (a) खरोंच-उद्दीपक; (b) मध्यम तीव्रता की उद्दीपना का प्रभाव, (S) उद्दीपना बायीं ओर देने से ऊपर नीचे, दोनों ओर साथ-साथ आवेग होता है। तीन उद्दीपना (S') को दाहिने पार्श्व में देने पर उसका प्रभाव होता है, एक आवेग जो दाहिने पार्श्व पर चढ़ता है और बायें पार्व से उतरता है। से चढ़कर शीर्ष तक पहुँच गयी और तब दूसरे पार्श्व में उतर गयी (चित्र 104) / रस के आरोहरण का ऐसा लाक्षणिक परिणाम सम्भव न होता। तने के ऊपर और नीचे उत्तेजना के संवाहन का कारण एक विशेष संवाहक ऊतक-तंत्रिका ऊतक-की उपस्थिति ही हो सकती है। ___मैंने जो यथार्थ माप लिये, उनसे ज्ञात हुआ कि उत्तेजना के पारेषण की गति, रस-आरोहण की गति से कई सौ गुना दूततर है। रस-क्रिया से उतेजना के संवाहन का कोई सम्बन्ध नहीं है। इसका एक आश्चर्यजनक प्रदर्शन इस संपरीक्षण से भी होता है--हाइड्रोक्लोरिक एसिड की एक बूंद लाजवन्ती के सबसे ऊपरी पत्ते के अग्र भाग पर डाली गयी। इससे यथेष्ट दूरी तक आवेग हुआ; वह रस-आरोहण के विपरीत दिशा में नीचे की ओर भी गया। इसके पश्चात् रासायनिक परीक्षा द्वारा
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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