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________________ 156 वनस्पतियों के स्वलेख. इस प्रकार के घूर्णन का एक लघु दर्पण 'M' द्वारा उच्च प्रवर्धन होता है। इस दर्पण द्वारा प्रकाश की किरण एक दूरस्थ परदे पर परावर्तित होती है (चित्र 87) / प्रकाशीय रुधिर-दाब-लेखी का समस्त प्रवर्धन दस लाख गुना है जो पौधे के कोष्ठक प्रेरक ऊतक पर विभिन्न ऐलकालायडों, के विशिष्ट प्रभावों को जनसाधारण के सम्मुख प्रदर्शित करने के लिए यथेष्ट है। चित्र८८ में संपूर्ण यंत्र चित्रित है। विशिष्ट चित्र ८७-हृत्स्पन्द लेखी का प्रकाशीय संयोजन के साथ आरे प्रयोजक (Applicator) में तीन छोटे-छोटे कटोरे होते हैं / इन तीनों में क्रम से एक उद्दीपक, एक अवसादक और एक विषमय घोल होता है। इसमें से एक या दूसरा द्रुत गति से तने के कटे हुए भाग पर प्रयुक्त किया जा सकता है। . पौधे की प्रत्येक स्पन्द-गति का अभिलेख लेने के लिए इससे भी उच्चतर प्रवर्धन-सौ लाख गुने-- की आवश्यकता है। वह मेरे चुम्बकीय रुधिर-दाब-लेखी द्वारा संभव हुआ है। पौधे की स्वाभाविक अवस्था में औसत दाब स्थिर रहता है / यह रुधिर-दाब-लेखी में लगभग एक क्षैतिज अभिलेख द्वारा प्रदर्शित है / संतुलन की यह स्थिति
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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