________________ प्राणी और वनस्पति पर ऐलकालायड और नाग-विष की क्रिया 157 गतिशील (Dynamic) है, स्थैतिक नहीं और इसमें एक संतुलन स्थान पर प्रदोलन होता है। लयबद्ध सक्रियता द्वारा विस्तार और संकुचन, स्पन्द अभिलेखों में प्रदर्शित हैं 1 चित्र ८८--सम्पूर्ण कोशिकीय हृत्स्पंदलेखी यंत्र / ऊपरी मोड़ द्वारा विस्तार और निम्न मोड़ द्वारा संकुचन (चित्र 86) / ये दोनों ही समान होते हैं। जैसा पहले कहा गया है, इन दोनों स्पन्दनों के बहुत ही सूक्ष्म होने से इनके प्रदर्शन के लिए दस करोड़ गुने अधिक उच्च प्रवर्धक की आवश्यकता है। फिर भी दाब-परिवर्तन के समय इनका प्रदर्शन स्पष्ट होता है। उद्दीपकों और प्रावसादकों चित्र ८६-कोशिकीय स्पन्दनों का अभिलेख। के प्रभाव के अंतर्गत स्पन्द-अभिलेख जैसा पहले ही कहा गया है, प्राणी में रक्त-दाब उद्दीपक द्वारा बढ़ाया और प्राव सादक द्वारा घटाया जा सकता है। पौधे के साथ समानान्तर संपरीक्षण में कोशीय उदञ्च की यथार्थ क्रिया तथा उत्कर्ष की गति की वृद्धि या निम्नन-जिससे