________________ 150 वनस्पतियों के स्वलेख केवल चिह्नों को गिन लेना ही आवश्यक है, क्योंकि स्राव के अधिक होने पर ये चिह्न अधिक पास-पास होते हैं और जब स्राव कम होता है तब चिह्न दूर-दूर 6A.M. NOON GP.M. 6PM. MIDNIGHT GA.M. चित्र ८५--सामान्य खजूर का, चौबीस घंटे के रस स्राव के अभिलेख बिन्दुओं का 1 बजे अपराह्न के बाद अलग होने और 3 बजे अपराह्न के बाद पास आने पर ध्यान दीजिये। होते हैं। रस के उत्पादन की गति प्रायः 1 बजे अपराह्न में निम्नतम और लगभग 2 बजे रात्रि में अधिकतम रहती है (चित्र 85) / इस प्रकार ज्ञात होता है कि रात्रि में स्त्राव दिन से कहीं अधिक होता है। रात्रि में अधिक स्राव होने का कारण एक विशेष खजूर वृक्ष के उत्पाद का सावधानी से माप लिया गया। इससे ज्ञात हुआ कि इसने 6 बजे प्रातः और 6 बजे संध्या के बीच 700 घन सेण्टीमीटर रस दिया, जब कि इसके पश्चात् रात्रि के 12 घंटों में 2150 घन सेण्टीमीटर रस दिया, जो तीन गुना अधिक था / इस अन्तर का कारण यह है कि वृक्ष में, पर्णों के वाष्पोत्सर्जन तथा साथ-साथ आहत तल में रस के स्राव से भी जल की हानि होती है / इसलिए अधिकतम वाष्पोत्सर्जन को स्राव का संवादी होना चाहिये तथा इसके विपरीत, रात्रि में वाष्पोत्सर्जन द्वारा हानि मन्द होने से कटे हुए तल का स्त्राव अपेक्षाकृत अधिक होता है। दूसरी ओर दिन में पर्णों के वाष्पोत्सर्जन द्वारा अत्यधिक हानि होती है, इसलिए रस की प्राप्ति कम होती है। पूनरावृत्त आघात की आवश्यकता ' मैं अब भारतीय खजूर वृक्ष के रस के स्राव का स्पष्टीकरण करूंगा। अनेक वृक्षों में वसंत ऋतु के आरम्भ में पर्णों के खुलने के पहले, अधिक दाब के कारण, रस भरा रहता है। इसलिए जैसे ही छिद्र बनाया जाता है रस सवित होने लगता है।