________________ अध्याय 20 ताड़ वृक्ष का दोहन भारत में ताड़ वृक्ष के रस से काफी मात्रा में शक्कर बनायी जाती है। भारतीय खजूर वृक्ष (Phoenix Sylvestris) 30 से 40 फुट तक बढ़ता है। स्कंध के ऊपरी भाग को काटकर उसमें से एक विशेष प्रकार से रस निकाला जाता है (चित्र 84 ) / इस वृक्ष से प्राप्त प्रति दिन के रस की मात्रा कभीकभी 16 लीटर तक पहुँच जाती है। एक लीटर प्रायः 2 पिण्ट के बराबर होता : है। यह शक्कर से भरा रस ताजा पिया जाता है, या फिर शक्कर बनाने के काम में आता है / इसको किण्वित (Fermented) कर मादक मदिरा बनायी जाती है। ... ग्रन्थ-ताड़ (Borassus flabellifer) से भी शक्कर-युक्त रस निकलता है। यह बहुत ही मन्द गति से बढ़ने वाला वृक्ष है और सौ से अधिक वर्ष तक जीवित रहता है। इसकी फूली हुई शूकी (Spike) अथवा छद-शूकी (Spadix) के कटे हुए भाग से रस निकाला जाता है। यह केवल ग्रीष्म के पहले निकलती है / उच्च तापमान में किण्वन अधिक होता है, और रस को अकिण्वित पाने के लिए विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। संचय-पात्र को साधारण तरीके से साफ करना इस कार्य के लिए यथेष्ट नहीं होता। कलीचूना (Quick-lime) का लेपन कर उसे धो देना ही प्रचलित रीति है। इस प्रकार की पूतिदोषरोधी (Antiseptic) कार्यवाही से पीने के लिए ताजा रस पाने में प्रायः सफलता मिलती है। एक ही वृक्ष के संपूर्ण जीवन का रस कभी-कभी 1,20,000 लीटर तक हो जाता है / इस रस में शक्कर अधिक मात्रा में रहती है, कभी-कभी 10 प्रतिशत तक। शक्कर बनाने के लिए यह एक अति लाभकारी वृक्ष माना जा सकता है, क्योंकि एक ही वृक्ष से उसके संपूर्ण जीवन में 12,000 किलोग्राम तक शक्कर पायी जा सकती है / यह करीब 12 टन के बराबर हुई। रसोत्पादन में घण्टेवार अन्तर . शक्कर-युक्त रस की गति दिन और रात के सभी समय समान नहीं होती। इसकी भिन्नता बहुत रोचक है / संपरीक्षण के लिए मैने अवनामी (Tilter) बनाया।