________________ 146 वनस्पतियों के स्वलेख की बनावट में भिन्नता ही थी, बायीं तरफ रस-काष्ठ (Alburnum) था जब कि दाहिनी तरफ वह नहीं था। सक्रिय बाह्यक छिद्र की भित्ति बनाता है और इसको भरने वाले रस के स्राव का कारण केवल बाह्यक की पार्श्वत: उदञ्चन-क्रिया ही हो सकती है। तापमान के बढ़ने से, जो दो बजे अधिकतम हो जाता है, यह क्रिया धीरे-धीरे बढ़ती है। GURASH Cork :: Cortex -.Phloem Alburnum चित्र ८३--आम्र-स्कंध के अनुभाग। बायीं ओर का चित्र एक तरुण स्कंध का प्रवर्धित तिर्यक् टुकड़ा है। (E), अधिस्तर; (C), चौड़ा छिलका; (G), ग्रन्थि; (P), अधोवाही; (X), दारु / दाहिनी ओर का चित्र स्कंध के उस भाग का आरेखीय निरूपण है, जिसमें वह छिद्र है, जहाँ से स्राव होता है / छिलके द्वारा पार्श्वत: रस-उदञ्चन होकर छिद्र में भरता है। बायीं ओर पार्श्वत: अन्तःक्षेपित रस का, रस-काष्ठ द्वारा द्रुत अवशोषण होता है। यह रस-काष्ठ, पर्ण के उत्स्वेदन के कारण ऋण-निपीड में है / दाबमापी (M) द्वारा दाब दिया गया है। बनाये गये छिद्र से कोई स्राव नहीं हुआ। अब हम एक बजे प्रारम्भहोने वाले स्राव को स्पष्ट करेंगे। वृक्ष का आगे निरीक्षण किया गया, जब दिन के अधिक भाग में पत्ते तने पर छाया करते हैं। फिर भी डालों