________________ 140 वनस्पतियों के स्वलेख स्वाभाविक और विपरीत क्रमसंकोची तरंगें अब यह प्रश्न उठता है कि क्रमसंकोची तरंगें रस को सदा ऊपर क्यों भेजती हैं ? क्या यह सम्भव है कि क्रमसंकोची तरंगों का मार्ग उलट दिया जाय और इसके परिणामस्वरूप रस नीचे की ओर बहने लगे? कौन-सी अवस्थाएँ प्रवाह की दिशा स्थिर करती हैं ? . मैंने जो रस-प्रवाह का सामान्य नियम स्थापित किया है, वह यह है कि रस अधिक सक्रिय स्थान से कम सक्रिय स्थान की ओर बहता है। यह तो स्पष्ट है कि यदि अंग के दोनों छोरों पर स्पन्दन-क्रिया समान हो, तो वे परस्पर संतुलन करेंगे और तब इसका परिणाम होगा कि कोई भी दिशासूचक गति नहीं होगी। दोनों छोरों की गतियों की सक्रियता को दो प्रकार से भिन्न किया जा सकता है। पहला भेदीय आशूनता द्वारा, दूसरा भेदीय उद्दीपना द्वारा। अब मैं भेदीय आशूनता और भेदीय उद्दीपना का अर्थ बताऊँगा। सींचने के बाद जल के प्रचूषण के कारण वृक्ष का, निम्न भाग आतत (Tense) और आशून (Turgid) हो जाता है, जब कि ऊपरी भाग में उत्स्वेदित पर्णों द्वारा जल तेजी से उड़ाये जाने के कारण, प्रारम्भिक शुष्कता होती है / अब दिखाया गया है कि प्रेरक कोशिकाओं की लयबद्ध-क्रिया बढ़ी हुई आशूनता द्वारा बढ़ जाती है और शुष्कता द्वारा घटती है। इसलिए रस-उत्कर्ष अधिक आशून और सक्रिय से कम आशून तथा निष्क्रिय स्थान की ओर होता है। इस प्रकार पौधे के विभिन्न भागों की आशूनता को समान करता हुआ रस-प्रवाह आशूनता-प्रवणक (Turgor-gradient) का अनुगामी होता है / ____ अब मैं यह दिखाऊँगा कि आशूनता-प्रवणक को उलट देने पर रस-प्रवाह की ऊपर की ओर की स्वाभाविक गति को नीचे की ओर कर देना सम्भव है। इस प्रकार यदि गमले के पौधे को सींचा न जाय तो शुष्कता के कारण तना झुक जाता है और मुरझाये पर्ण झुक जाते हैं। सम्पूर्ण पौधे में स्पन्दन-क्रिया रुक जाती है। अब यदि जल से भरा एक गिलास इस प्रकार रखा जाय कि झुके हुए तने का ऊपरी भाग उसमें डूब जाय, तब तने का ऊपरी भाग जल-प्रचूषण करेगा और इस प्रकार निम्न भाग से अधिक आशून हो जायगा। ऊपरी भाग में स्पन्दन-क्रिया पुनर्जीवित हो जायगी; आशूनता-प्रवणक उलट जायगा और रस-प्रवाह स्वाभाविक प्रवाह के विपरीत नीचे की ओर होगा। झुके हुए पर्णों के पुनरुन्नयन द्वारा, जो तने के छोर से नीचे की ओर होता है, यह विपरीत प्रवाह प्रदशित है / मैंने रस-उत्कर्ष की स्वाभाविक और विपरीत गति का माप लिया है। इसके परिणाम से ज्ञात होता