________________ प्रणोदक ऊतक 136 ये परिणाम निश्चित रूप से प्रमाणित करते हैं कि उत्कर्ष प्रेरक स्तर की कोशिकाओं की स्पन्दन-क्रिया द्वारा होता है। यह प्रेरक स्तर वाहिनी-सिलिंडर को घेरे हुए Muth चित्र ८०--तीर पर दिये गये क्लोरोफार्म का स्पन्दन पर प्रभाव / स्पन्दन की प्रारम्भिक वृद्धि लम्बी ऊपरी रेखाओं द्वारा, सतत उद्दीपना द्वारा स्पन्दन स्थगित / आन्तरिक वल्क (Cortex) है। इस सम्बन्ध में यह ध्यान रखना चाहिये कि सामान्य स्थितियों में सब जीवित कोशिकाओं में लयबद्ध सक्रियता हो सकती है, फिर भी कुछ कोशिका-स्तर स्वाभाविक रूप से दूसरे स्तरों से अधिक सक्रिय होते हैं और इन्हीं आन्तरिक वल्कों की स्पन्दन-क्रिया द्वारा स्वाभाविक रस-उत्कर्ष बना रहता है। एक द्विबीज पनी (Dicotyledonous) वृक्ष का प्रेरक ऊतक सिलिण्डरनुमा (Cylindrical) नली होती है जो इसकी पूरी लम्बाई तक खिंची रहती है। यह सिलिण्डर तरुण वाहक ऊतक को निकट से घेरे रहता है। जैसा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है, इस लम्बे सिलिण्डर का कार्य, निम्नतर प्राणी के लम्बे हृदय के कार्य के ही समान है, जिसमें रक्त-संचालन क्रमसंकोची तरंगों द्वारा होता है। वनस्पति में रस-उत्कर्ष यथार्थ में इसी प्रकार का क्रमसंकोची होता है जिसमें संकुचन की तरंगें रस को दबाकर आगे बढ़ाती हैं। इस प्रकार की लगातार क्रमसंकोची तरंगें रस का सतत उत्कर्ष बनाये रखती हैं।