________________ प्रणोदक ऊतक 135 संपरीक्षण इस प्रकार से हुआ--विश्राम करती हुई पेशी, जैसे पर्ण का अधिस्तर, को विद्युत-स्पर्श कराया गया; दूसरा स्पर्श विद्युत्-शलाका द्वारा (चित्र 74) स्कंध में 0.1 मिलीमीटर के अन्तर पर तिरछे प्रवेश द्वारा कराया गया। अधिस्तर में कुछ भी स्पन्दन नहीं हुआ / जब शलाका 0.1 की गहराई तक पहुँची, एक मन्द स्पन्दन का आभास हुआ, 0.2 की गहराई तक परिणाम यही रहा। किन्तु जब y - - B c , B _x = ? चित्र ७६--राजिका के पर्णवृन्त का एक टुकड़ा (अनुभाग), और विभिन्न ऊतकों को स्पन्दन-क्रिया का मोड़। (E), अधिस्तर; (C), छिलका; (C) सक्रिय आन्तरिक छिलके का स्तर; (E.), अन्तःस्तर; (B),ल्फोएम; (x), दारु; (P), बाह्यक / स्तर (C,) में सक्रियता को अकस्मात् वृद्धि पर ध्यान दीजिये। शलाका 03 मिलीमीटर तक पहुँची, स्पन्दन अकस्मात बढ़ गया। यह इतना तीव्र हुआ कि अभिलेखक का एक भाग पट्ट से हट गया (चित्र 75) / निश्चय ही शलाका का,