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________________ 122 वनस्पतियों के स्वलेख और सारे दिन खुली रहती हैं (चित्र 66) / ये पत्तियाँ इतनी संवेदनशील हैं कि मेघान्धकार में भी बन्द होने लगती हैं। ___यह दिखाने के लिए कि इस पौधे की बन्द होने और खुलने की दैनिक गति प्रकाश और अन्धकार के क्रमागम द्वारा प्रेरित है, 4 बजे संध्या से लेकर दूसरे दिन मध्याह्न तक का सतत अभिलेख लिया गया। प्रथम मोटा बिन्दु 4 बजे संध्या को चिह्नित किया गया; इसके बाद वाले एक-एक घंटे के अन्तर से लघु बिन्दुओं का अन्तर 15 मिनट का था। यह दिखाई पड़ता है कि पत्तियों को बन्द होने की गति 5 बजे संध्या से आरम्भ हुई, जब प्रकाश मन्द होने लगा। 6 बजे रात्रि तक पत्तियां पूरी बन्द हो गयी और दूसरे दिन 5 बजे प्रातः तक बन्द रहीं। इसके पश्चात् वे खुलने लगी और 6 बजे प्रातः तक पूरी खुल गयीं। ये अपराह्न में देर तक खुली ......... Leaf Opening Closing 6PM. 12 6A.M. 12 MIDNIGHT NOON चित्र ६७--कासमर्द की पत्ती का दैनिक अभिलेख / रहीं (चित्र 67) / इसी प्रकार यह चक्र चलता रहा। मध्याह्न में इस पौधे पर एक काला वस्त्र रख कर यह तथ्य प्रमाणित किया जा सकता है कि ये गतियाँ प्रकाश के परिवर्तन से संपूर्णतया प्रभावित हैं, तापमान की विभिन्नता द्वारा नहीं। तापमान समान रहता है फिर भी कृत्रिम अन्धकार के कारण पत्तियाँ तीव्र गति से बन्द हो जाती हैं।
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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