________________ कुमुदिनी का रात्रि-जागरण 121 है / पुष्प तीव्रता से तब तक बन्द होता जाता है जब तक कि निद्रा आ जाने की क्रिया पूरी नहीं हो जाती, जो 10 बजे प्रातः तक होती है। इस प्रकार यह दिखाया गया है कि तापमान की वृद्धि द्वारा पुष्प बन्द होता है और घटने पर खिलता है / गति की व्याख्या यह है कि युवा पुष्प वृद्धि की स्थिति में रहता है और तापमान की वृद्धि उसको बढ़ाती है तथा उसका घटना उसकी वृद्धि को रोकता है। कुमुद में पंखुड़ियों के दोनों पार्श्व संवेदनशीलता में भिन्न हैं; ठीक वैसे ही जैसे हमने लाजवन्ती के पीनाधार के ऊपर और नीचे के भागों की संवेदनशीलता को असमान पाया। भारतीय कुमुद में बाह्य भाग अधिक संवेदनशील होता है। इसलिए तापमान की वृद्धि के अन्तर्गत बाह्य भाग अन्दर के भाग की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ता है, जिससे बन्द होने की गति प्रेरित होती है। तापमान के पतन में विपरीत गति होती है। इसका कारण है कि अधिक संवेदनशील बाह्य पार्श्व में गति अधिक मन्द होती है। यूरोपीय कुमुद में अन्दर का भाग अधिक संवेदनशील होता है। इन पुष्पों को भारतीय कुमुद के विपरीत बनने के लिए बाध्य होना पड़ता है। ये दिन में खुलते हैं और रात में बन्द होते हैं। इसीलिए इन्हें चन्द्र-पूजा का दोषी नहीं ठहराया जा सकता / इनका स्वभाव प्राकृतिक है। दिन को जागरण और रात को निद्रा / अन्य, रात्रि को दिवस में परिवर्तित कर देते हैं और रात्रि-जागरण की पूर्ति दिन में सोकर करते हैं। . प्रकाश की विभिन्नता में कासमर्द (Cassia) की गति प्रकाश में अंग की विशेष संवेदनशीलता के उदाहरण के लिए हम भारतीय पौधा द्रुघ्न कासमर्द (Cassia alata) की पत्ती पर विचार कर सकते हैं / ये पत्तियाँ NE चित्र ६६-खुली और बन्द स्थिति में कासमर्व का पर्ण / रात्रि में दृढ़तापूर्वक बन्द रहती हैं किन्तु बहुत तड़के ही खुलना आरम्भ कर देती हैं