________________ 116 वनस्पतियों के स्वलेख कवि का कुमुदिनी-गति-संबन्धी वर्णन है; न यह चन्द्रमा के प्रकाश में खिलती है, न ही सूर्य के उदय होने पर बन्द होती है। कुमद के सोने और जागने की यह घटना अपने में अकेली नहीं है। प्रथम बार चित्र ६४-कुमुद; कली और विकसित / मेरा ध्यान निम्नांकित लोकगीत से एक दूसरे पुष्प के आश्चर्यजनक प्रदर्शन की ओर आकृष्ट हुआ / वह इस प्रकार आरम्भ होता है--