________________ प्रकृति में वनस्पति की गति 113 उद्दीपना के प्रेषण के विषय में पौधे का साधारण ऊतक उसका इतना अधिक अच्छा संवाहक नहीं है जितनी नाड़ी, किन्तु भिन्नता केवल मात्रा में है, प्रकार में नहीं। चेतनशील ऊतक उद्दीपना के मन्द होने पर भी उत्तेजना को कुछ दूर तक ले जाता है जब कि साधारण ऊतक को तीव्र और सतत उद्दीपना संवाहित चित्र ६३--लाजवन्ती के तने के एक पार्श्व की परोक्ष उद्दीपना का प्रभाव / (a) संपरीक्षण का रेखाचित्र-निरूपण, (b) परोक्ष उद्दीपना द्वारा प्रारम्भिक सीधी अनुक्रिया का अभिलेख, और सतत उद्दीपना के बाद उत्तेजना के तिर्यक संवाहन द्वारा उत्तेजित पतन / करने में भी कठिनाई होती है। इस प्रकार मन्द उद्दीपना का प्रभाव स्कंध के प्रत्यक्ष उद्दीप्त पावों में प्रायः स्थानीय होता है। किन्तु तीव्र और लम्बी उद्दीपना द्वारा जो उत्तेजना होती है, वह इस बाधा को पार कर सकती है और इस प्रकार अंग की क्षतिज दिशा में अनुस्र वित होती है। - इस क्षतिज अनुस्रवण-प्रेषण का प्रभाव लाजवन्ती-पर्ण के प्रतिक्रियाअभिलेख द्वारा प्रर्दाशत है (चित्र 63) / इसमें अनुक्रियारत पर्ण के ठीक विपरीत स्कंध के एक बिन्दु पर प्रकाश द्वारा सतत उद्दीपना दी गयी थी। पहला प्रभाव था परोक्ष उद्दीपना द्वारा खड़े होने की अनुक्रिया, तब उत्तेजना स्कंध के उस पार तक भेजी गयी और परिणामस्वरूप पर्ण गिर गया। स्कंध के एक पार्श्व में