________________ 106 वनस्पतियों के स्वलेख गिरते हैं, केवल तभी उद्दीपना होती है। यदि कोई सान्द्र घर्षण न होता तो कण अंग के झुकाव के आरम्भ में ही गिर गये होते, किन्तु कोई घर्षण होता है इसलिए कणों का तुरन्त गिरना झुकाव के चरम कोण पर ही होता है। एक और निदर्शन द्वारा यह और भी अधिक स्पष्ट हो जायगा। यदि हम कुछ बालुका के कण एक चपटी तख्ती पर रखें और उसे एक तरफ से उठाना आरम्भ करें तो कण केवल तभी गिरना आरम्भ करते हैं जब एक कोण विशेष आ जाता है / यदि तख्ती रूक्ष है तो कोण विशेष बड़ा होगा, यदि वह चिकना है तो छोटा। और भी, बालुका की घर्षण-क्रिया द्वारा रूक्ष-तल संपरीक्षण के पुनरावर्तन से चिकना हो सकता है, और परिणामस्वरूप यह कोण विशेष छोटा हो जायगा। ___ स्पष्ट ही पौधों की भू-अभिवर्तनीय उददीपना के तत्काल प्रतिबोधन के कोणविशेष के विषय में भी यही होता है / मैंने जो संपरीक्षण विभिन्न पौधों पर किये उनसे यह कोण 31deg पर ज्ञात हुआ। भू-अभिवर्तनीय उद्दीपना की कोई विद्युत्अनुक्रिया नहीं होती जब तक उस कोण पर अंग को न लाया जाय, लेकिन अब संपरीक्षण का पुनरावर्तन होता है; यह कोण घटकर 25deg पर पहुँच जाता है। इन संपरीक्षणों का परिणाम स्थितिकरण सिद्धान्त को और पुष्ट करता है।