________________ 104 वनस्पतियों के स्वलेख स्थितिकरण का सिद्धान्त (Statolith Theory) इसका यथेष्ट प्रमाण है कि ठोस कण, जैसे माँड-कण, जो पौधों की कोशिकाओं में स्थित रहते हैं, कर्णाश्म का कार्य कर सकते हैं, और ये उदग्र.समायोजन के लिए संकेत और उद्दीपना दे सकते हैं। कोशिकाओं में माँड-कणों के विभाजन के प्रेक्षण और कोशिकाओं के भीतर उनके स्थानों के परिवर्तन के विचार ने स्थितिकरण के सिद्धान्त को जन्म दिया, जिसका प्रतिपादन नेमेक (Nemec), हेबरलैण्ड (Haberlandt) तथा अन्य विद्वान् वैज्ञानिकों ने किया है। इस सिद्धान्त के अनेक प्रतिवाद हुए, क्योंकि इसके प्रमाण परोक्ष रूप के हैं / इसका निश्चय करने के लिए यह प्रत्यक्ष देखना होगा कि क्या मांड-कणों के स्थानपरिवर्तन के साथ-साथ पौधे की दैहिक अभिक्रिया भी होती है और क्या इस प्रकार पौधा स्वाभाविक उदन स्थिति में पृथक किये जाने पर भू-अभिवर्तनीय उद्दीपना के प्रतिबोधन का अकाट्य संकेत देता है। वस्तुतः इसके लिए जीवित पौधे के भीतर खोज करने का साहस करना पड़ेगा कि जिस विशेष स्तर में कर्णाश्म हैं, क्या वही भू-अभिवर्तनीय उद्दीपना द्वारा सबसे अधिक उत्तेजित होता है ? विद्युत्-जाँच इस समस्या को मैने विद्युत्-जाँच की युक्ति द्वारा हल किया। कल्पना करिये कि G और G' (चित्र 56) स्कन्ध में कोशिका के वे स्तर हैं जिन्हें गुरुत्वाकर्षण की उद्दीपना का प्रबोधन हुआ है। ये G और G' एक खोखले गोलाकार सिलिंडर के आयाम (Longitudinal) भाग हैं। विद्युत्-शलाका एक अत्यधिक पतले प्लैटिनम तार की होती है। यह एक कांच की कोशिका-नली में बन्द रहती है। केवल चरम सिरे को छोड़कर शलाका विद्युत् द्वारा विसंवाहित रहती है। जब शलाका को विधिवत् गैलवनोमीटर से युक्त कर उसे धीरे से तने में चुभाया जाता है, तब गैलवनोमीटर अपने व्याकोचन द्वारा, जिन-जिन कोशिकाओं में शलाका चुभती है, उन सबकी प्रतिक्रिया को बताता है। जब तना उदग्र रहता है, अन्वेषी शलाका अपने तिरछे मार्ग में स्थानीय उत्तेजना का कोई भी चिह्न नहीं पाती। जब तना उदन से क्षैतिज (Horizental) स्थिति में रखा जाता है तब परिणाम भिन्न होता है। भू-अभिवर्तनीय रूप से संवेदी स्तर G को अब उद्दीपना का प्रबोधन होता है और वह उद्दीपना का केन्द्र बन जाता है / यह गैलवनोमीटर की ऋण विद्युत् अनुक्रिया द्वारा प्रमाणित होता है / इस प्रतिबोधी स्तर की उद्दीपना पास की कोशिकाओं में अरीय (Radial) दिशाओं में फैल जाती है / जैसे-जैसे यह दूर होती