________________ वनस्पति में दिशा-बोध 103 चित्र ५८--भू-अभिवर्त मोड़ पर दक्षु का प्रभाव / अकस्मात् सीधा होना है। अब हमारे सम्मुख यह जटिल प्रश्न है कि उस संवेदांग की प्रकृति कैसी है जिसके द्वारा पौधों को उदग्न (Vertical) दिशा का बोध होता है और वे अपने को समायोजित करने का संकेत पाते हैं / मिस्त्री, सीस-रज्जु या लकटते हुए भार द्वारा गुरुत्वाकर्षण की यथार्थ दिशा का पता लगाते हैं। हमें दिशा-ज्ञान कान के अन्दर स्थित अर्धगोल प्रणालियों द्वारा होता है। उनमें जो रस रहते हैं वे विभिन्न स्थानों पर दबाव डालकर उदग्र-दिशा का प्रबोधन कराते हैं। निम्न प्राणियों में, उदाहरणार्थ, महाचिंगट (Lobster) में कर्णाश्म (कान की हड्डी) और स्पर्शरोम में मिश्रित बालुका-कण रहते हैं जो अपने उदग्र दाब द्वारा इन प्राणियों को दिशा-ज्ञान कराते हैं। चित्र 58 (अ)--भ-अभिवर्तनीय अनुक्रिया को बढ़ाने में दक्षु का प्रभाव।