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________________ 100 वनस्पतियों के स्वलेख जीवन के संघर्ष के लिए शक्ति प्रदान करता है। कितने ही परिवर्तन और विपत्ति की लहरें इसके ऊपर से गुजर जाती हैं। बाह्य आघात इसको पराजित नहीं कर पाते। वे केवल इसकी जयमान शक्ति को चनौती देते हैं। बाह्य परिवर्तन का उत्तर वह प्रतिपरिवर्तन से देता है। जब परिवर्तन के समय इस को शक्ति के पुन समायोजन की आवश्यकता हुई तब भयी और जीर्ण पर्ण झड़ गये। वृक्ष अपनी जातीय स्मति से भी अतिरिक्त शक्ति प्राप्त करता है / इस प्रकार बीज के अन्दर के अदृश्य भ्रूण के प्रत्येक कण के अन्दर वट वृक्ष के गहन लक्षण रहते हैं। अंकुरित बीजांकुर अधिक सुरक्षा से स्थिर होने के लिए अनुकूल पृथ्वी में अपनी जड़ों को प्रवेश कराता है / तना प्रकाश की खोज में ऊपर आकाश की ओर सीधा बढ़ता है और शाखाएँ अपने पर्ण-मण्डप के साथ चारों ओर फैल जाती हैं। तब वह कौन सी शक्ति है जिसने वृक्ष को अपनी सहन-शक्ति प्रदान की है, जिससे जीवन-संघर्ष में उसका विजयी होना सम्भव हुआ ? यह है उसे अपने जन्मस्थान से प्राप्त शक्ति, प्रतिबोधन एवं परिवर्तन के प्रति तत्काल समायोजन करने की उसकी शक्ति और वंशागत अतीत की स्मृति। . .
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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