________________ अध्याय 13 आहत वनस्पति जब हम उद्यान में निकलते हैं तो हमारे सामने पौधों के समूह के समूह बिखरे रहते हैं, जो देखने में बिलकुल मूक और निष्क्रिय लगते हैं। उन्हें विभिन्न आघात पहुँचते हैं और वे आहत और मृत भी होते हैं। जब आघात अत्यधिक तीव्र होता है जैसे किसी तीव्र व्रण के पश्चात्, तो पौधे पर उसका क्या प्रभाव होता हैं ? ___मैंने आघात से उत्पन्न तीन भिन्न-भिन्न संपरीक्षण किये। पहले का ध्येय था वृद्धि पर आघात के प्रभाव का निश्चय, दूसरे का परिम्रामि शालपर्णी के धड़कते हुए स्पन्दन पर व्रण की प्रतिक्रिया का प्रदर्शन और तीसरे का ध्येय था, व्रण निष्क्रिय करने के प्रभाव का विश्लेषण / वृद्धि पर व्रण का प्रभाव उच्च प्रवर्धक वृद्धिलेखी द्वारा मैंने एक पौधे को रूक्ष स्पर्श से लेकर तीव्र आघात तक विभिन्न प्रकार से उत्तेजित किया और इसके परिणामस्वरूप वृद्धि की गति में जो परिवर्तन हुए उनका अवलोकन किया। एक विशेष संपरीक्षण में मैंने पहले स्वाभाविक वृद्धि का अभिलेख लिया और तब पौधे को एक दफ्ती के रूखे टुकड़े से रगड़ कर उद्दीप्त किया। वृद्धि की गति मन्द होकर स्वाभाविक वृद्धि की हो गयी। तब पौधे को स्वस्थ होने के लिए 15 मिनट का विश्राम दिया गया। वृद्धि की गति का पुनरुन्नयन आंशिक हुआ। पुनः सक्रिय होने में पूरा एक घंटा लग गया। रूक्ष स्पर्श से वृद्धि रुकती है, और व्यवहार जितना ही रूक्ष होता जाता है इसका मैं एक ऐसा उदाहरण दूंगा, जिसने यथेष्ट समय तक उलझन में डाल रखा था। मैंने अनेक पौधों को उनकी वृद्धि का अभिलेख लेने के लिए वृद्धिलेखी से युक्त किया। यन्त्र के पूर्णतः समायोजित रहने पर भी वृद्धि का कोई अभिलेख नहीं हो सका। एक पौधा यन्त्र में युक्त रात भर पड़ा रहा और मैंने साश्चर्य देखा कि जिस पौधे में पहले दिन कोई वृद्धि न हो सकी, वह वृद्धि का प्रदर्शन बहुत ही-तेजी से कर रहा था। तब मैंने अनुभव किया कि यन्त्र में बाँधने के लिए जिस अनिवार्य रूक्षता