________________ 65 चुम्बकीय वृद्धिलेखी पौधे का जीवन इस प्रकार संपरीक्षक की इच्छा का अनुसेवी हो जाता है। वह उसकी क्रिया को बढ़ा-घटा सकता है। इस प्रकार वह उसे विष द्वारा मृत्यु-बिन्दु पर ला सकता है और जब पौधा मृत्यु और जीवन के मध्य अस्थिर झूल रहा हो तो उसे समय पर प्रतिकारक (Antidote) देकर पुनर्जीवित कीजिये। __यह सत्य है कि प्रकृति ने अज्ञात के महासमुद्र में साहसिक यात्राओं के लिए मनुष्य को बहुत उपयुक्त रूप से सज्जित नहीं किया है। ध्वनि के सब सम्भव स्वरों में केवल ग्यारह सप्तक उसे सुनाई देते हैं और प्रकाश का केवल एक ही सप्तक उसे दृष्टिगोचर होता है। इस पर भी दृश्य-प्रकाश की लहर का आकार एक अलंध्य अवरोध प्रस्तुत कर देता है। वह कभी भी इंच के पचास हजारवें अंश से अधिक छोटी वस्तु नहीं देख सकता, जो एक ही प्रकाश-तरंग की लम्बाई है। इन परिसीमाओं से वह हतप्रभ नहीं हुआ, किन्तु इसके विपरीत इन बाधाओं ने उसे अदृश्यों के प्रदेश में खोज की ओर और अधिक प्रयत्न करने के लिए प्रेरित किया है। जीवन की रहस्यमयी गतियाँ सदा उसके लिए अभेद्य नहीं रहेंगी। एक दिन उसका अथक प्रयास और लक्ष्य का एकाग-अनुसरण, जीवन की सभी अभिव्यञ्जनाओं के पीछे गुप्त बातों का अनावरण कर देगा।