________________ चुम्बकीय वृद्धिलेखी संपरीक्षण का दूसरा विषय था दृश्य और अदृश्य किरणों के सम्पर्क में आने पर पौधे की प्रतिबोधन-शक्ति। पराबैंगनी प्रकाश (Ultra-Violet light), जिसका तरंगदैर्घ्य (Wave-length) अत्यधिक छोटा होता है, के प्रति पौधा अपनी वृद्धि की गति को घटाकर अनुक्रिया करता है। वृद्धि पर प्रकाश का गतिरोधकारी प्रभाव अल्प वर्तनशील (Refrangible) किरणों, पीत और रक्त की ओर कम हो जाता है / जैसे चित्र ५५--उद्दीपना के प्रति पौधे की अनुक्रिया का अभिले व / (a) मन्द उद्दीपना की अनुक्रिया वृद्धि-का बढ़ना; (b) तीव्र उद्दीपना की अनुक्रिया-वृद्धि का घटना; () मध्यम उद्दीपना का प्रभाव-आरम्भ में मन्दन के पश्चात् पुनः स्वस्थता। निम्न मोड़ वृद्धि-त्वरण का निरूपण करता है, और ऊपरी मोड़ वृद्धि के मन्दन का। जैसे हम अवरक्त (Infra-red) प्रदेश में बढ़ते हैं, हम विद्युत विकि रण के बहत् प्रक्षेत्र में पहुँचते जाते हैं जिसके तरंग-दैर्घ्य, लघुतम तरंग जो मैं प्रस्तुत कर सका हूँ, (0.6 सेंटीमीटर) से लेकर मीलों तक लम्बे होते हैं। अब यह रोचक प्रश्न उठता है कि क्या वनस्पतियाँ ईथर-नरगों का भी प्रतिबोधन करती हैं और उनका प्रत्युत्तर देती हैं ? इनमें वे भी तरंगें सम्मिलित हैं जो अन्तरिक्ष में संकेतन (Signalling) के काम में प्रयुक्त होती हैं।