SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वनस्पतियों के स्वलेख 23 मिनट तक जारी रहा / गैस की सतत क्रिया द्वारा प्रारम्भिक त्वरण के पश्चात् वृद्धि घटती गयी है, जैसा मोड़ के निम्नाभिमुख होने से पता चलता है / संतुलित वृद्धिलेखी न केवल कारक के हितकारी प्रभाव को बताता है बल्कि उद्दीपना की सही मात्रा को भी प्रदर्शित करता है। प्रकाश की तात्क्षणिक चमक का प्रभाव क्योंकि पौधे प्रकाश के प्रति अपने प्रतिबोधन (Perception) में अत्यधिक मन्द माने जाते हैं, अतएव उन्हें पाँच मिनट से अधिक समय तक चित्र ५४-वद्धि पर कार्बनिक एसिड गैस के प्रभाव प्रकाश के सतत सम्पर्क में का अभिलेख / आरम्भ में क्षतिज रेखा से संतुलित रखना न्यूनतम प्रभावी माना वृद्धि का पता चलता है। कार्बनिक एसिड गैस देने जाता है / मैंने यह पता लगाने पर वृद्धि बढ़ती है, जैसा यहाँ ऊपरी मोड़ से दिखता के लिए संपरीक्षण आरम्भ है / 40 सेकेण्ड के अन्तराल पर क्रमिक बिंदु। किया कि पौधा अति अल्प समय के प्रकाश-सम्पर्क के प्रति अनुक्रिया करता है या नहीं / प्रकाश की एक अवे ली चमक से अधिक क्षणिक प्रकाश की परिकल्पना सम्भव नहीं है / वृद्धिलेखी पर सन्तुलित एवं बढ़ते हुए पेड़ को मैंने एक कृत्रिम तडित्स्फरण दिया। यह प्रकाश दो धातु-पिण्डों के बीच से निकला हुआ एक विद्युत-स्फुलिंग था। पौध ने इस अत्यधिक अल्पकालिक प्रकाश का अनुभव किया और उसके प्रति अनुक्रिया प्रदर्शित क' / यह सन्तुलन के बिगड़ने तथा उसके फलस्वरूप प्राप्त पौधे के स्वत: लेख से स्पष्ट हो जाता है। बेतार तरंग और वृद्धि , इस प्रकार यह पता चलता है कि पौधे को ऐसी उद्दीपना का प्रतिबोध हुआ जो न केवल बहुत क्षीण थी बल्कि उसकी अवधि भी अत्यधिक अल्प थी।
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy