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________________ 86 चुम्बकीय वृद्धिलेखी उच्च आवर्धक वृद्धिलेखी में जोड़ दिया जाता है और अभिलेखक, पूर्व प्रणाली के विपरीत जो आरोही वक्र बनाती है, अब एक क्षतिज रेखा बनाता है। इस प्रकार का सन्तुलित यन्त्र अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है। वृद्धि की गति में पर्यावरण द्वारा सूक्ष्मतम परिवर्तन सन्तुलन के उलट जाने पर मोड़ से ऊपर-नीचे होने से TES TIMIT WILL vie चित्र ५३--संतुलित वृद्धिलेखी। (P) पौधे को पकड़ने वाले कुण्डे के समान अधःपतन द्वारा वृद्धिगति को क्षतिपति / समायोजक पेंच (S) नियोजक (G) की गति को नियमित करता है। प्रचुर भार (W) घंटीवत् क्रिया को प्रेरित करता है। तत्काल ही ज्ञात हो जाता है। यह प्रणाली इतनी अधिक संवेदनशील है कि इससे प्रति सेकेण्ड एक इंच के 6 दस लाखवें अंश तक की अति सूक्ष्म वृद्धि-दर की * घट-बढ़ का भी पता लगाकर उसका अभिलेख प्राप्त हो जाता है। . वृद्धि पर कार्बनिक एसिड गैस के प्रभाव के अभिलेख में इस प्रणाली की सूक्ष्मता दिखायी गयी है (चित्र 54) / पौधे पर इस गैस से भरा एक कलश उलट दिया गया, अपने भार के कारण गैस ने एक झरने के रूप में गिरकर पौधे को घेर लिया। जैसा अभिलेख में देखा जा सकता है, इससे वृद्धि का तत्काल त्वरण (Acceleration) हुआ जो
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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