________________ अध्याय 12 चुम्बकीय वृद्धिलेखी (Crescograph) विगत अध्याय में वर्णित प्रणाली द्वारा यह दिखाया गया कि वृद्धि की दर में होने वाले परिवर्तनों को अभिलिखित वक्र के परिणामी झुकावों से किस प्रकार पता लगाया जाय / किन्तु यह भी विचारणीय है कि वृद्धि की दर में झुकाव इतना सूक्ष्म हो सकता है कि इस प्रणाली से उसका पता ही न चले। संतुलित वृद्धिलेखी इसलिए एक ऐसी नयी विधि निकालने की आवश्यकता हुई जिससे किसी प्रेरित्र (Indicator) की ऊपर-नीचे की गति द्वारा तत्क्षण ज्ञात किया जा सके कि किसी कारक का घट-बढ़ पर क्या प्रभाव पड़ता है। मैं 'संतुलन-प्रणाली' निकालकर इस विचार को कार्यान्वित करने में सफल हुआ। पौधे को ठीक उसी गति से गिराया गया जिससे उसका बढ़ता हुआ छोर उठ रहा था। किसी एक ऐसी विनियमित युक्ति का प्रयोग करना था जो एक ज्योतिष दूरदर्शक (Astronomical telescope) की त्रुटिपूरक गति के समान हो / यह गति चौबीस घंटे में अपने अक्ष के चारों ओर घूमती हुई पृथ्वी की गति के प्रभाव को निराकृत कर देती है। किन्तु यहाँ समस्या अधिक कठिन थी; क्योंकि एक निश्चित गति की त्रुटि को पूर्ण करने के (Compensate) स्थान पर, परीक्षण में भिन्न पौधों की या फिर उसी पौधे की भिन्न दशाओं में वृद्धि की विस्तृत दरों की विभिन्न गतियों का सन्तुलन करने के लिए इसकी समायोजना करनी पड़ी। सन्तुलित वृद्धिलेखी में घूमती हुई घड़ी के पहियों की एक श्रेणी, भार से प्रेरित होकर, पौधे को ठीक उसी गति से गिराती है, जिस गति से वह बढ़ रहा है। 'g' पेंच को धीरे-धीरे दायें-बायें घुमाकर त्रुटिपूरक पतन को सतत बढ़ाया-घटाया जा सकता है / इस प्रकार वृद्धि की गति की ठीक-ठीक दुटि-पूर्ति की जा सकती है, जिससे पौधे का बढ़ता हुआ छोर एक ही तल पर रहे। सामान्य प्रकार से छोर को