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________________ 84 वनस्पतियों के स्वलेख तापमान के परिवर्तन का प्रभाव वृद्धि की गति पर तापमान के परिवर्तन का स्पष्ट प्रभाव होता है। जब तापमान गिरता है तब गति मन्द हो जाती है और एक क्रान्तिक मन्द ताप (Critical lowtemperature) की एक निश्चित सीमा पर आकर बिलकुल ही रुक जाती है / इसके विपरीत उष्णता, एक अनुकूलतम तापमान तक, वृद्धि की गति को आश्चर्यजनक तेजी से बढ़ाती है। जिसके आगे यह फिर मन्द हो जाती है, 60deg सें० पर मृत्यु-जनित ऐंठन होती है, जिसके पश्चात् वृद्धि स्थगित हो जाती है। निश्चेतकों का प्रभाव ईथर जैसे मन्द निश्चेतक की अल्प मात्रा, वृद्धि को उत्तेजित करती है। मोड़ का पहला हिस्सा (चित्र 51) अपने झुकाव द्वारा स्वाभाविक वृद्धि दिखाता है। हल्के चित्र ५१--वृद्धि पर निश्चेतकों का प्रभाव / (a) ईथर की लघु मात्रा से वृद्धि (b) क्लोरोफार्म से प्राथमिक वृद्धि जिसके बाद उग्र पेशी-आकुचन-युक्त मृत्यु-आकुचन। ईथर की पतली वाष्प मोड़ को अकस्मात् खड़ाकर देती है जो वृद्धि की गति का बढ़ना सूचित करती है। क्लोरोफार्म के प्रयोग के अन्तर्गत प्रारम्भ में वाष्प की कम मात्रा का अवशोषण होने से, अल्प मात्रा का प्रभाव होता है-वृद्धि का बढ़ना / जैसे-जैसे अधिक क्लोरोफार्म दिया जाता हैं, वृद्धि बढ़ने की जगह घटने लगती है और अन्त में दौरा
SR No.004289
Book TitleVanaspatiyo ke Swalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Vasu, Ramdev Mishr
PublisherHindi Samiti
Publication Year1974
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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