________________ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक * 287 पुनर्निर्देशादिभिस्ततो नेदं सूत्रमारंभणीयमित्यनुपपत्तिचोदनायामिदमाह;निर्देशाद्यैश्च कर्तव्योधिगमः कांचन प्रति / इत्याह सूत्रमाचार्यः प्रतिपाद्यानुरोधतः॥१॥ ये हि निर्देश्यमानादिषु स्वभावेषु तत्त्वान्यप्रतिपन्नाः प्रतिपाद्यास्तान् प्रति निर्देशादिभिस्तेषामधिगमः कर्तव्यो न केवलं प्रमाणनयैरेवेति सूक्तं निर्देशादिसूत्रं विनेयाशयवशवर्तित्वात्सूत्रकारवचनस्य / विनेयाशयः कुतस्तादृश इति चेत् ततोन्यादृशः कुतः तथा विवादादिति / तत एवायमीदृशोस्तु न्यायस्य समानत्वात्॥ _ किं पुनर्निर्देशादय इत्याह;यत्किमित्यनुयोगेर्थस्वरूपप्रतिपादनम् / कास्य॑तो देशतो वापि स निर्देशो विदां मतः॥२॥ कस्य चेत्यनुयोगे सत्याधिपत्यनिवेदनं / स्वामित्वं साधनं केनेत्यनुयोगे तथा वचः॥३॥ पुनः सर्वथा भिन्न निर्देश आदि के द्वारा अधिगम कहना उचित नहीं है, अतः सूत्रकार को निर्देश' आदि सूत्र की रचना का प्रारम्भ करना योग्य नहीं है इस प्रकार की अनुपपत्ति (उत्पन्न) शंका का निवारण करते हुए आचार्य कहते हैं : प्रतिपाद्य (अनुशासन करने योग्य) शिष्य के अनुरोध से किन्हीं शिष्यों के प्रति, निर्देश आदि के द्वारा जीवादिकों का अधिगम कराना चाहिए अत: अनुकूल शिष्य के आग्रहवश आचार्य ने निर्देश' इस सूत्र का कथन किया है॥१॥ जो शिष्य निर्देश (कथन) करने योग्य स्वामी आदि स्वभावों में जीवादि तत्त्वों को समझ नहीं पाया है, (अप्रतिपन्न है) उसके प्रति निर्देश आदि के द्वारा प्रतिपादन करने योग्य जीवादि तत्त्वों का उसको अधिगम (ज्ञान) कराना चाहिए क्योंकि अव्युत्पन्न शिष्य केवल प्रमाण और नय के द्वारा समझ नहीं सकता है। इसलिए सूत्रकार ने निर्देश' आदि सूत्र की रचना उपयुक्त ही की है क्योंकि सूत्रकार महापुरुषों के वचन विनीत शिष्यों के अनुकूल होते हैं। प्रश्न : विनयशील शिष्य का अभिप्राय कैसा है, यह कैसे जाना जा सकता है ? उत्तर : शिष्य का अभिप्राय ऐसा नहीं था, ऐसा कैसे जाना जा सकता है? यदि कोई कहे कि इस प्रकार का विवाद था, इसलिए इस सूत्र की रचना की गई है तो जैनाचार्य भी कह सकते हैं कि निर्देश आदि के विषय में विवाद था, इसलिए इस सूत्र की रचना की गई है, दोनों के प्रश्नों में न्याय की समानता है। निर्देशादि क्या हैं - ऐसी जिज्ञासा होने पर आचार्य कहते हैं जो कुछ है, सो क्या है? इस प्रकार प्रश्न होने पर पूर्ण रूप से अथवा एकदेश से भी जो अर्थस्वरूप का प्रतिपादन करना है, वह निर्देश है। ऐसा विद्वानों का कथन है॥२॥ .. ___ यह पदार्थ किसका है, ऐसा प्रश्न होने पर उसके अधिपतित्व का कथन करना स्वामित्व है। इस पदार्थ की उत्पत्ति का कारण क्या है? ऐसा प्रश्न होने पर पदार्थों की उत्पत्ति के कारणों का कथन करना साधन है॥३॥