________________ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक * 253 नियतपदार्थावद्योतकत्वेनाप्येवकारस्येष्टत्वात् / अथास्त्येव सर्वमित्यादिवाक्ये विशेष्यविशेषणसंबंधसामान्यावद्योतनार्थ एवकारोन्यत्र पदप्रयोगे नियतपदार्थावद्योतनार्थोपीति निजगुस्तदा न दोषः / केन पुनः शब्देनोपात्तोर्थ एवकारेण द्योत्यत इति चेत् , येन सह प्रयुज्यते असाविति प्रत्येयं / पदेन हि सह प्रयुक्तोसौ नियतं तदर्थमवद्योतयति वाक्येन वाक्यार्थमिति सिद्धं / ननु च सदेव सर्वमित्युक्ते सर्वस्य सर्वथा सत्त्वप्रसक्तिः सत्त्वसामान्यस्य विशेषणत्वाद्वस्तुसामान्यस्य च विशेष्यत्वात् तत्संबंधस्य च सामान्यादेवकारेण द्योतनात् / प्रयोग नहीं करना चाहिए, इस प्रकार अभिमान पूर्वक मान रहे हैं अर्थात्-सामान्य रूप पदों के साथ एव लगाना चाहिए, विशेष पद के साथ नहीं, यह भी स्याद्वाद के ज्ञाता नहीं हैं, क्योंकि स्याद्वाद सिद्धान्त में नियत विशिष्ट पदार्थों का द्योतन करने के लिए एवकार का प्रयोग इष्ट किया है। भावार्थ : मीमांसकों के अनुसार सामान्य विशेषण-विशेष्य भाव सम्बन्ध प्रगट करने के लिए एवकार का प्रयोग करना चाहिए, विशेष सम्बन्ध के लिए एवकार लगाने की आवश्यकता नहीं है परन्तु उनका यह कथन अभिमान मात्र है या मिथ्याज्ञान है क्योंकि सभी व्यावृत्तियों के लिए वाक्यों में एवकार का प्रयोग करना अत्यावश्यक है। - अथवा- “सर्व पदार्थ कथञ्चित् अस्तिस्वरूप ही हैं" इत्यादि वाक्यों में सामान्य रूप से विशेषण विशेष्य सम्बन्ध को अवद्योतन (प्रगट) करने के लिए ‘एवकार' का प्रयोग करना चाहिए। तथा अन्यत्र (दूसरे स्थल पर) पद का प्रयोग करने पर नियमित पदार्थों को प्रगट करने के लिए भी ‘एवकार' का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार कहने में कोई दोष नहीं है अर्थात् स्याद्वाद सिद्धान्त में इस प्रकार कथंचित् वा स्याद्वाद का प्रयोग करके ही वाक्यों का उच्चारण किया गया है। शंका : किस शब्द के द्वारा ग्रहण किया गया अवधारणारूप अर्थ एवकार से प्रगट किया जाता उत्तर : जिसं वाक्य के साथ एवकार का प्रयोग किया जाता है उसी पद वा वाक्य से कथित अर्थ ‘एव' निपात से अभिव्यक्त कर दिया जाता है। जब पद के साथ निश्चय से वह ‘एव' शब्द प्रयुक्त होता है (एव का वाक्य में प्रयोग किया जाता है) तब वह नियत पद के अर्थ को प्रकट कर देता है और जब वाक्य के साथ एवकार का प्रयोग किया जाता है, तब वह वाक्य के नियमित अर्थ को प्रकाशित करता है। इस प्रकार अनिष्ट अर्थ की निवृत्ति के लिए पद और वाक्य में एवकार का प्रयोग करके अवधारणा करनी चाहिए यह युक्तियों से सिद्ध किया जा चुका है। - शंका : ‘सदेव सर्वं' 'सम्पूर्ण वस्तु सत् स्वरूप ही है' इस प्रकार कहने पर सर्वथा सभी को सत्त्व रहने का ही प्रसंग आयेगा क्योंकि सामान्य रूप से सत्त्व सर्व वस्तुओं का विशेषण है और सामान्य रूप से सर्व वस्तुएँ विशेष्य हैं तथा उन विशेषण विशेष्य का सम्बन्ध सामान्य रूप से एवकार के द्वारा प्रगट होता है अर्थात् सामान्य की अपेक्षा सर्व पदार्थ सत्त्व रूप ही हैं।