________________ भोज बैठे। अर्थात् अमितगतिसूरि के लिखे हुए संवत् 1050 से 1078 तक मुंज महाराज का राज्य रहा, पश्चात् भोज को राजतिलक हुआ। और विश्वभूषणसूरि के कथानक के अनुसार यही समय श्रीशुभचन्द्राचार्य का था। हेमचन्द्र के योगशास्त्र पर ज्ञानार्णव का पर्याप्त प्रभाव दिखलाई पड़ता है। कई पद्य तो प्राय: ज्यों-के-त्यों मिलते-जुलते हैं, दो चार शब्दों में ही भिन्नता है। अतएव हमारा अनुमान है कि शुभचन्द्र का समय वि.सं. की 11 वीं शती होना चाहिए। इससे भोजन और मुंज की समकालीनता भी सुघटित हो जाती है।'' ____ भोज और शुभचन्द्र - मुंज का समय निणीत होजाने पर भोज के समय के विषय में कुछ भी शंका नहीं रहती। क्योंकि मुंज के सिंहासन के उत्तराधिकारी महाराज भोज ही हुए थे। अतएव प्रबन्धचिन्तामणि के आधारसे संवत् 1078 केपश्चात् भोज काराज्यकाल समझना चाहिए। अनेकपाश्चात्य विद्वानों का भी यही मत है कि ईसा की ग्यारहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध . में राजा भोजजीवित थे। भोजराज का दिया हुआ एक दानपत्र एपिग्राफिका इंडिका के तीसरे भाग में छपा है, जो विक्रम सं. 1078 (ई. 1022) में लिखा गया था। उससे भी भोजराज का समय ईसा की ग्यारहवीं शताब्दी का पूर्वार्ध निश्चित होता है। बृहद द्रव्यसंग्रह की संस्कृत टीका की प्रस्तावना में श्री ब्रह्मदेवसूरि के एक उल्लेख से विदित होता है कि भोजदेव के समय में ही श्रीनेमिचन्द्र सिद्धान्तीदेव हुए हैं। जिसका सारांश है कि मालवदेश धारानगरी के कलिकालचक्रवर्ति राजा भोजदेव के सम्बन्धी, मण्डलेश्वर राजा श्रीपाल के राज्यान्तर्गत आश्रमनामक नगर के मुनिसुव्रत भगवान् के चैत्यालय में सोम राजश्रेष्ठी के निमित्त श्री नेमिचन्द्र सैद्धान्तिक देव ने द्रव्यसंग्रह ग्रन्थ बनाया था। इससे नेमिचन्द्र और भोज की समकालीनता प्रकट होती है। इसी प्रसंग से यह भी स्पष्ट होता है कि आचार्य शुभचन्द्र एवं भोजराज भाई-भाई थे। इनमें शुभचन्द्र अग्रज थे और भोजराज अनुज / भर्तृहरि और शुभचन्द्र - भर्तृहरि का नाम सुनते ही शतकत्रय के कर्ता राजर्षि भर्तृहरि का स्मरण हो आता है और आचार्य विश्वभूषण की कथा का आशय प्राय: इन्हीं की ओर झुकता है। परन्तु शुभचन्द्र के समय से भर्तृहरि का समय मिलाने में बड़ी-बड़ी झंझटे हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि प्रसिद्धि के अनुसार भर्तृहरि विक्रमादित्य के बड़े भाई हैं और विश्वभूषण उन्हें भोज का भाई बतलाते हैं। जमीन-आसमानज्ञजैसा अन्तर दोनों में है। क्योंकि भोज ईसा की ग्यारहवीं शताब्दी में हुए हैं और विक्रमादित्य संवत् के प्रारम्भ में अर्थात् ईसा.से 57 वर्ष पहले हुए हैं। लोक में जो किंवदन्तियाँ प्रसिद्ध हैं और 1. ज्ञानार्णव, (अगास) प्रस्तावना, पृ. 12-3. 2. ज्ञानार्णव, (अगास) प्रस्तावना, पृ. 13. 44