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________________ श्रमण संघीय सलाहकार श्री दिनेश मुनि जी के मुक्त सहयोग की वजह से जैनाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि शोध संस्थान पुस्तकालय में उपलब्ध. पुस्तकों से मैं बहुत लाभान्वित हुआ। सुखाड़िया विश्वविद्यालय तथा जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग के पुस्तकालयों से भी मैं लाभान्वित हुआ। इनके अलावा आगम अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, हुक्म गुरु जैन ग्रन्थालय तथा अम्बा गुरु शोध संस्थान के पुस्तकालयों में उपलब्ध पुस्तकें भी मेरे शोध-कार्य के लिए उपयोगी रहीं। इन सभी पुस्तकालयों के प्रबन्धकों व सम्बन्धित जनों के प्रति मैं आभारी हूँ। जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. यू. सी. जैन, पूर्व अध्यक्ष डॉ. एच. सी. जैन, . कर्नल डॉ. डी. एस. बया आदि का भी समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा। प्रकाशन की प्रेरणा के लिए मैं श्री मोहन सिंह जी दलाल (सुराणा), युवा उद्यमी श्री पंकज कोठारी (देवगढ़), श्री अनिल व अरुण ढाबरिया, जैन दिवाकर संगठन समिति के उपाध्यक्ष श्री कन्हैयालाल जी मेहता, श्री कालूलाल जी नागोरी आदि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। शोध-प्रबन्ध के पुस्तकाकार प्रकाशन के लिए मैं प्राकृत भारती अकादमी के सचिव माननीय श्री देवेन्द्र राज जी मेहता, महोपाध्याय श्री विनयसागर जी, श्री सुरेन्द्र जी बोथरा एवं सदस्यों के प्रति बहुत अनुगृहीत हूँ। प्रकाशन के लिए अकादमी की सहर्ष स्वीकृति के फलस्वरूप यह शोध-प्रबन्ध पाठकों के हाथों में समय पर पहुँच पाया है। मेरे ताऊ श्री शान्तिलाल जी धींग, अग्रज दादाभाई श्री सुरेशचन्द्र धींग व श्री अनिल धींग, अग्रजा आशा कुन्दनमल दाणी और अनुजा रेखा धर्मेश जारोली की प्रत्यक्ष परोक्ष प्रेरणा मुझे सदैव मिलती रही है। मेरे साथी श्री अभय धींग का ऑफिस के कार्यों में सहयोग मिलता है। श्री गिरीश मेहता ने शोध-प्रबन्ध की टाइपिंग में सहयोग किया। जाने-अनजाने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष जिनका भी सहयोग मिला उन सबके प्रति मैं आभारी हूँ। - डॉ. दिलीप धींग (xx)
SR No.004281
Book TitleJain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDilip Dhing
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2007
Total Pages408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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