________________ 3. महिषकर (भैंस की बिक्री पर लगने वाला कर) 4. उष्ट्रकर (ऊँट की बिक्री पर लगने वाला कर) 5. छगलीकर (भेड़-बकरी की बिक्री पर लगने वाला कर) 6. पशुकर (मवेशियों व अन्य पशुओं की बिक्री पर लगने वाला कर) 7. तृणकर (घास पर लगने वाला कर) 8. भुसकर (पशु आहार की बिक्री पर लगने वाला कर) 9. पलालकर (पुवाल/चावल/अनाज और इनके भूसे पर लगने वाला कर) 10. काष्ठकर (लकड़ी व काष्ठ वस्तुओं पर लगने वाला कर) 11. अंगारकर (कोयले व ईंधन पर लगने वाला कर) 12. सीताकर (हल व कृषि उपकरणों पर लिया जाने वाला कर) 13. उम्बरकर (देहली अथवा हर घर से लिया जाने वाला कर) 14. जंघाकर/जंगाकर (चरागाह पर लिया जाने वाला कर) 15. घटकर (मिट्टी के बर्तनों व वस्तुओं पर लगने वाला कर) 16. चर्मकर या/तथा कर्मकर (श्रमिकों द्वारा दी गई बेगार) 17. चुल्लगकर (सामूहिक भोज, उत्सव, मनोरंजन आदि पर लगने वाला कर). 18. औतितकर (प्रासंगिक/आकस्मिक व्यवसाय पर कर या ऐच्छिक कर) .. करों के इस विवरण से स्पष्ट होता है कि ये सारे कर अच्छी खेती-बाड़ी, वृहद् पशुपालन और समृद्ध ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सूचक हैं। ग्रामों में प्राथमिक उद्योग थे। जबकि नगरों में द्वितीयक उद्योग। जब गाँवों में इतने प्रकार के कर लगते थे तो नगरों में भी द्वितीयक उद्योगों और उनसे आगे के उद्योग-धन्धों पर कर लगते गृहकर - गृहकर के बारे में मूल आगम ग्रन्थ मौन है। परन्तु नियुक्ति और भाष्य में गृहकर के उल्लेख से आगम-युग में गृहकर होने का पता चलता है। पिण्डनियुक्ति के अनुसार प्रत्येक घर से प्रतिवर्ष दो द्रम (रजत-मुद्रा) गृहकर के रूप में राज्य . द्वारा वसूल किये जाते थे। बृहत्कल्पभाष्य और निशीथभाष्य में गृहकर को लेकर (79)