________________ पवयणसारो प्रवचनसार 1. एस सुरासुरमणुसिंदवंदिदं धोदघाइकम्ममलं / पणमामि वड्डमाणं तित्थं धम्मस्स कत्तारं // 1 // 2. सेसे पुण तित्थयरे ससव्वसिद्धे विसुद्धसब्भावे / समणे य णाणदंसणचरित्ततववीरियायारे // 2 // 3. ते ते सव्वे समगं समगं पत्तेगमेव पत्तेगं / वंदामि य वढ्ते अरहंते माणुसे खेत्ते // 3 // 4. किच्चा अरहंताणं सिद्धाणं तह णमो गणहराणं / अज्झावयवग्गाणं साहूणं चेव सव्वेसिं // 4 // तेसिं विसुद्धदंसणणाणपहाणासमं समासेज्ज / उवसंपयामि सम्म जत्तो णिव्वाणसंपत्ती // 5 // [पणगं] 6. संपज्जदि णिव्वाणं देवासुरमणुयरायविहवेहिं / जीवस्स चरित्तादो दंसणणाणप्पहाणादो // 6 // 7. चारित्तं खलु धम्मो धम्मो जो सो समोत्ति णिहिट्ठो / मोहक्खोहविहीणो परिमाणो अप्पणो हु समो // 7 //