________________ सूत्रकृताङ्गसूत्र 15 8. विउट्ठितेणं समयाणुसिढे, डहरेण वुड्ढेण य चोइए य / अच्चुठ्ठियाए घडदासिए वा, अगारिणं वा समयाणुसिढे // 8 // 9. न तेसु कुज्झे, न य पव्वहेज्जा, न यावि किंची फरुसं वदेज्जा / तहा करिस्सं त्ति पडिस्सुणेज्जा, सेयं खु मेयं न पमाय कुज्जा // 9 // 10. वणंसि मूढस्स जहा अमूढा, मग्गाणुसासंति हितं पयाणं / तेणेव मज्झं इणमेव सेयं, जं मे बुहा समणुसासयंति // 10 // 11. अह तेण मढेण अमढगस्स. कायव्व पया सविसेसजत्ता / - एओवमं तत्थ उदाहु वीरे, अणुगम्म अत्थं उवणेति सम्मं // 11 // रात्री 12. णेता जहा अंधकारंसि राओ, मग्गं ण जाणाति अपस्समाणे / से सूरियस्स अब्भुग्गमेणं, मग्गं वियाणाइ पगासियंसि // 12 // 13. एवंतु सेहे वि अपुट्ठधम्मे, धम्मं न जाणाइ अबुज्झमाणे / से कोविए जिणवयणेण पच्छा, सूरोदए पासति चक्खुणेव / / 13 / / 14. उड्ढे अहे य तिरियं दिसासु, तसा य जे थावरा जे य पाणा / सया जए तेसु परिव्वएज्जा, मणप्पओसं अविकंपमाणे // 14 // 15. कालेण पुच्छे समियं पयासु, आइक्खमाणो दवियस्स वित्तं / तं सोयकारो पुढो पवेसे, संखा इमं केवलियं समाहिं / / 15 / / 16. असिसं सुठिच्चा तिविहेण ताई, एएसु या संतिनिरोहमाहु / ते एवमक्खंति तिलोगदंसो, ण भुज्जमेयंति पमायसंगं // 16 // 17. निसम्म से भिक्ख समीहियट्रं, पडिभाणवं होइ विसारए य / आयाणअट्ठी वोदाणमोणं, उवेच्च सुद्धेण उवेति मोक्खं // 17 // 18. संखाइ धम्मं च वियागरंति, बुद्धा हु ते अंतकरा भवंति। ते पारगा दोण्ह वि मोयणाए, संसोधितं पगहमुदाहरंति / / 18 / /