________________ सूत्रकृताङ्गसूत्र अणगारकिच्चाई 1. गंथं विहाय इह सिक्खमाणो, उट्ठाय सुबभंचेरं वसेज्जा / उवायकारो विणयं सुसिक्खे, जे छेयए विप्पमायं न कुज्जा // 1 // 2. जहा दिया पोतमपत्तजातं, सावासगा पविउं मन्नमाण / तमंचाइयं तरुणमत्तजातं, ढंकाइ अव्वत्तगमं हरेज्जा // 2 // 3. एवं तु सेहं पि अपुट्ठधम्मं, निस्सारियं बुसिमं मन्नमाणा / दियस्स छावं च अपत्तजायं, हरिंसु णं पावधम्मा अणेगे // 3 // . 4. ओसाणमिच्छे मणुए समाहिं, अणोसिए णंतकरे ति णच्चा / ओभासमाणे दधियस्स वित्तं, न निक्कसे बहिया आसुपन्नो // 4 // 5. जे ठाणओ य सयणासणे य, परक्कमे यावि सुसाहुजुत्ते / ___ समितीसु गुत्तोसु य आयपन्ने, बियागरेते य पुढो वएज्जा // 5 // 6. सहाणि सोच्चा अदु भेरवाणि, अणासवे तेसु परिव्वएज्जा / निदं च भिक्खू न पमाय कुज्जा, कहंकहं वा वितिगिच्छ तिन्ने // 6 // त्तिा अपि 7. डहरेण वुड्ढेण णुसासिए उ, रायणिएणावि समव्वएण / सम्मं तयं थिरतो नाभिगच्छे, निज्जंतए वा वि अपारए से // 7 //