________________ -acaacance श्रीआवश्यक नियुक्ति (व्याख्या-अनुवाद सहित) 0000000 222222222222223333332223333333333333232322323 / (हरिभद्रीय वृत्तिः) आह-मङ्गलमिति कः शब्दार्थः?, उच्यते, अगि-रगि-लगि-वगि-मगि इतिदण्डकघातुः, . & अस्य "इदितो नुम्धातोः” (पा० 7-1-58) इति नुमि विहिते औणादिकालन्-, प्रत्ययान्तस्यानुबन्धलोपे कृते प्रथमैकवचनान्तस्य मङ्गलमितिरूपं भवति।मझ्यते हितमनेनेति मङ्गलम्, मन्यते अधिगम्यते साध्यत इतियावत्।अथवा मङ्गेतिधर्माभिधानम्, 'ला आदाने' अस्य धातोर्मङ्ग-उपपदे "आतोऽनुपसर्गे कः” (पा० 3-2-3) इति कप्रत्ययान्तस्य अनुबन्धलोपे.. ca कृते “आतो लोप इटि च द्विति" (पा०६-४-६४ आतो लोप इटि च) इत्यनेन सूत्रेणाकारलोपे , a च प्रथमैकवचनान्तस्यैव मङ्गलमिति भवति।मङ्गं लातीति मङ्गलं धर्मोपादानहेतुरित्यर्थः। ॐ अथवा मां गालयति भवादिति मङ्गलम्, संसारादपनयतीत्यर्थः। (वृत्ति-हिन्दी-) (शंका-) 'मङ्गल' यह शब्द क्या है? (व्याकरण की दृष्टि से इसमें 4 कौन-सी प्रकृतिरूप धातु है और प्रत्यय कौन सा है?) (उत्तर-) बता रहे हैं। अगि, रगि, & लगि, वगि, मगि -यह समस्त दण्डक (एक ही अर्थ वाली समूहबद्ध) धातुएं (गति अर्थ : वाली) हैं। (इसमें पठित ‘मगि') इस धातु से 'इदितो नुम् धातोः' (पाणिनीय सूत्र-7/1/58) से नुम् होकर औणादिक 'अलच्' प्रत्यय अन्त में हुआ, उसके (प्रातिपदिक रूप ‘मङ्गल' शब्द , ca के) प्रथमा विभक्ति के एकवचन में 'मङ्गलम्' यह रूप बनता है। गति अर्थवाली धातु 'प्राप्ति' है & अर्थ को भी अभिव्यक्त करती है, (इसलिए व्युत्पत्ति -इस प्रकार समझनी चाहिए-) जिससे " a हित की प्राप्ति या सिद्धि की जाय,वह मङ्गल होता है। अथवा 'मङ्ग' नाम धर्म का है। " मनपूर्वक 'ला' धातु से -जिसका अर्थ आदान (लेना, प्राप्त करना आदि) है- 'आतोऽनुपसर्गे कः' इस(पाणिनीय-3/2/3) सूत्र से क प्रत्यय हुआ (मङ्ग+ला+क), अनुबन्ध लोप की / क्रिया सम्पन्न होकर (अर्थात् 'क' के 'क्' का लोप होकर) 'आतो लोप इटि च विङति' इस 4 (पाणिनीय-6/4/64 आतो लोप इटि च) सूत्र से ('ला' के) आकार का लोप हुआ, और 4 (प्रातिपदिक संज्ञा होने पर) प्रथमा के एकवचन में ही यह 'मङ्गल' शब्द निष्पन्न होता है। जो 6 मङ्ग यानी धर्म को लाता है, उत्पन्न करता है वह 'मङ्गल', यानी जो धर्म के उपादान का & कारण होता है -यह अर्थ है। अथवा 'मा' को, यानी पाप या विघ्न को जो गलावे, नष्ट करे & (और मङ्गलकर्ता को) संसार से छुड़ावे -वह मङ्गल होता है। 16 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)