________________ प 333333333388888888888888888888888888888888 ORORS) * CR) (R) RO RO ROR सार 'आवश्यक' का अर्थ है- अवश्य करणीय। संयम-साधना के अंगभूत जो अनुष्ठान . र आवश्यकरूप से, वस्तुतः आनेवार्यतया करणीय होते हैं, वे 'आवश्यक' ( अनुष्ठान ) में परिगणित हैं। ) * श्रपणचर्या में जो क्रियाएं मूलतः सहायक होती हैं, जिनका ज्ञान होना प्रत्येक श्रमण के लिए मूलतः * (प्रारम्भिक रूप में) अपेक्षित है, उन 'आवश्यक' क्रियाओं का निरूपण इस सूत्र में है। संभवतः इस ल दृष्टि से भावप्रभसूरी ने (जैनधर्मवरस्तोत्र, श्लोक-30 की स्वोपज्ञ वृत्ति) आवश्यक को चार मूलसूत्रों में से र परिगणित किया है। भाष्यकार के मत में 'आवश्यक' ज्ञानक्रियामय आचरण है. अतः मोक्षप्राप्ति का कारण है। * जैसे कुशल वैद्य उचित आहार (या पथ्य) की अनुमति देता है, वैसे ही भगवान् ने साधकों के लिए R आवश्यक क्रियाओं का विधान किया है (द्र. भाष्य गा. 3-4 एवं बृहद्वृत्ति)। 'आवश्यक' को ) अंगभूत छः क्रियाएं हैं- (1) सामायिक (2) चतुर्विंशति स्तव (3) वन्दन (4) प्रतिक्रमण, (5) * कायोत्सर्ग, और (6) प्रत्याख्यान। इन्हीं छः क्रियाओं से सम्बन्धित छः अध्ययन इस सूत्र में हैं। & मूलपाठ का परिमाण 100 श्लोक प्रमाण है तथा इसमें 9? गद्य सूत्र हैं और 9 पद्यसूत्र हैं। आन्तरिक दोषों / की शुद्धि एवं गुणों की वृद्धि करने में उक्त छ: 'आवश्यक' क्रियाएं कार्यकारी हैं। इनसे आध्यात्मिक C विशुद्धि तो होती ही है, साथ ही व्यावहारिक जीवन में भी समत्व, विनय, क्षमाभाव आदि प्रशस्त गुण . संवर्द्धित होते हैं, फलस्वरूप साधक के मानसिक धरातल पर आनन्द की निर्मल गङ्गा प्रवाहित होती ) में रहती है। आवश्यक की रचना व रचना-काल स्वनामधन्य पं. दलसुख मालवणिया इस सूत्र को गणधर-रचित मानते हैं। अनेक विद्वानों की ल यह मान्यता है कि यह किसी स्थविर या बहुतश्रुत की ही कृति है। कुछ जैन विद्वानों के मत में यह ल एकाधिक आचार्यों की कृति है। आचारांग टीका के एक वाक्य से यह भी संकेतित होता है कि इसके कुछ अध्ययन ch (श्रुतकेवली) आचार्य भद्रबाहु आदि एवं परवर्ती अनेक स्थविर आचार्यों की ज्ञान-निधि के प्रतिफलित " म रूप हैं। अत: निश्चय ही इसका वर्तमान रूप भगवान् महावीर के समय से ही प्रारम्भ होकर वि. सं. 5R 6 शती तक पूर्णत को प्राप्त हो चुका था। पं. सुखलाल जी ने इसे ई. पू. चौथी शताब्दी तक रचित माना " म है। अतः सूत्र की अतिप्राचीनता स्वतः सिद्ध हो जाती है। - IIOBCROOBCRORRORROROSCRROHORROR