________________ attactact 000000000 नियुक्ति-गाथा-41 (नियुक्तिः) ओरालिअवेउबिअआहारगतेअ गुरुलहू दब्बा। कम्मगमणभासाई, एआइ अगुरुलहुआई॥१॥ [संस्कृतच्छायाः-औदारिक वैक्रिय-आहारक-तैजसावि मुख्लविद्रव्याणि कर्मण अबो-भावाटीवि 4 एतानि अगुरुलघुकानि (वृत्ति-हिन्दी-) पहले यह कहा था कि तैजस व भाषा द्रव्यों के अन्तराल में जो अवधिज्ञान का ज्ञेय भूत द्रव्य है, वह गुरुलघु और अगुरुलघु है। किन्तु औदारिक आदि द्रव्यों : का कथन नहीं किया। अब औदारिक आदि द्रव्यों के जो गुरुलघु व अगुरुलघु रूप हैं, उनका स्पष्टीकरण कर रहे हैं (41) (नियुक्ति-हिन्दी) औदारिक, वैक्रिय, आहारक व तैजस (-इन चार वर्गणाओं) के a द्रव्य गुरुलघु होते हैं और कार्मण, मन, भाषा, व आनापान (इन चार वर्गणाओं) के द्रव्य : 6 अगुरुलघु होते हैं। a (हरिभद्रीय वृत्तिः) a (व्याख्या-) पदार्थस्तु औदारिकवैक्रियाहारकतैजसद्रव्याणि मुरुलघूबि, तथा ce कार्मणमनोभाषादिद्रव्याणि च अगुरुलघूनि निश्चयनयापेक्षयेति गाथार्थः१० (वृत्ति-हिन्दी-) (व्याख्या-) पदों का अर्थ इस प्रकार है कि औदारिक, वैक्रिय, : ce आहारक व तैजस (वर्गणाओं) के द्रव्य गुरुलघु होते हैं, और कार्मण, मन, भाषा आदि (वर्गणाओं) के द्रव्य अगुरुलघु होते हैं, यह कथन निश्चयनय की दृष्टि से है। यह गाथा का . & अर्थ पूर्ण हुआ // 1 // a (हरिभद्रीय वृत्तिः) वक्ष्यमाणगाथाद्वयसम्बन्धः- पूर्व क्षेत्रकालयोरवधिज्ञानसंबन्धिनोः केवलयोः अङ्गलावलिकाऽसंख्येयादिविभागकल्पनया परस्परोपनिबन्ध उक्तः। साम्प्रतं तयोरेवोक्तलकाणेन / द्रव्येण सह परस्परोपनिबन्धमुपदर्शयन्नाह 222233333333333333333333333333333333333333333 (r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)200@ren 213