________________ IRecenecescece ពពពពព ពពពព 333333333333333333333 नियुक्ति-गाथा-8 | (हरिभद्रीय वृत्तिः) (व्याख्या-) अवधिश्च जघन्यमध्यमोत्कृष्टभेदभिन्नः, तत्र तावज्जघन्यावधिपरिच्छेद-2 योग्यमेवादावभिधीयते-तैजसं च भाषा च तैजसभाषे, तयोर्द्रव्याणि तैजसभाषाद्रव्याणि, . 4 तेषामिति समासः। अन्तरात्' इति 'अर्थाद्विभक्तिपरिणामः' अन्तरे, अथवा 'अन्तरे' इति / & पाठान्तरमेव। एतदुक्तं भवति-तैजसवारद्रव्याणामन्तर इत्यन्तराले।अत्र तदयोग्यमन्यदेव द्रव्यं & 'लभते' पश्यति।कोऽसावित्यत आह- 'प्रस्थापकः' ।प्रस्थापको नाम अवधिज्ञानप्रारम्भकः। किंविशिष्टं तदिति, अत आह- 'गुरुलध्वगुरुलघु' |गुरु च लघु च गुरुलघु तथा न गुरुलघु, अगुरुलघु। (वृत्ति-हिन्दी-) अवधि के जघन्य, मध्यम व उत्कृष्ट भेद होते हैं। इनमें जघन्य ca अवधिज्ञान के योग्य द्रव्य का ही पहले निरूपण किया जा रहा है। तैजस और भाषा, इन , a (दोनों) के द्रव्य, इस अर्थ का वाचक समासयुक्त पद है- 'तैजस भाषा द्रव्य', उनका अन्तर। यहां 'अन्तर' पद में अर्थ-वश (अर्थसंगति के निमित्त) विभक्ति-परिणाम (सप्तमी विभक्ति से , युक्त) करणीय है, तब अर्थ होगा -अन्तर में (मध्य में, अन्तराल में)। अथवा 'अन्तरे' यह / (सप्तम्यन्त पद) पाठान्तर ही उपलब्ध होता है (तब विभक्ति-परिणाम, विभक्तिपरिवर्तन की ce आवश्यकता नहीं होगी)। तात्पर्य यह है कि तैजस द्रव्य और भाषा द्रव्य के बीच में, जो तैजस व भाषा के ca अयोग्य अन्य द्रव्य होते हैं, उन्हें ही यह अवधिज्ञान ग्रहण करता है। कौन ग्रहण करता है? & प्रस्थापक (ग्रहण करता है)। प्रस्थापक का अर्थ है- अवधिज्ञान का प्रारम्भक (प्रारम्भिक अवधिज्ञानी)। वह (ग्रहणयोग्य) द्रव्य किस प्रकार का का होता है? इसके उत्तर में बताया - 1 4 गुरुलघु-अगुरुलघु / गुरु हो और लघु भी हो वह गुरुलघु, और जो ऐसा न हो, वह अगुरुलघु। & (हरिभद्रीय वृत्तिः) एतदुक्तं भवति-गुरुलघुपर्यायोपेतं गुरुलघु, अगुरुलघुपर्यायोपेतं चागुरुलघु इति।। ल तत्र यत्तैजसद्रव्यासन्नं तद्गुठलघु, यत्पुनर्भाषाद्रव्यासन्नं तदगुरुलघु। तदपि च' अवधिज्ञानं . व प्रच्यवमानं सत्पुनः तेनैव द्रव्येणोपलब्धेन सता निष्ठां याति, प्रच्यवतीत्यर्थः। तत्र अपिशब्दात् . यत्प्रतिपाति तत्रायंक्रमः, न पुनरवधिज्ञानं प्रतिपात्येव भवतीत्यर्थः।चशब्दस्त्वेवकारार्थः।स, चावधारणे, तस्य चैवं प्रयोगः- तदेवावधिज्ञानमेवं प्रच्यवते, न शेषज्ञानानीति गाथार्थः // 38 // 333333 333333333333333 80@cr(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r)(r) 201